नई दिल्लीः शुक्रवार को कांग्रेस ने सभी महासचिव, राज्यों के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष , सांसद और सीएलपी नेताओ की बैठक बुलाई है. बैठक का मुद्दा जम्मू और कश्मीर है और इसमें कोशिश होगी कि अनुच्छेद 370 पर पार्टी में एक सहमति बने या यूं कहा जाए कि पार्टी इस मुद्दे पर बंटी हुई नजर ना आए. ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी सरकार ने जैसे ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो कांग्रेस के नेताओ की अलग अलग राय सामने आने लगी.


कांग्रेस के महासचिव , ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व सांसद दीपेन्द्र हुड्डा , पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और कई कांग्रेस के नेताओ ने जहां सरकार का समर्थन किया तो वही राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और पूर्व वित्त मंत्री चिदम्बरम ने सरकार के फ़ैसले पर सवाल खड़े किए. पार्टी के भीतर दो राय देखकर कांग्रेस वर्किग कमेटी की बैठक बुलाई गई जो कि तीन घंटे तक चली.


वर्किग कमेटी की बैठक मे भी कई नेताओ ने कहा कि, हमें जन भावना को समझना चाहिए और आज के दिन जन भावना मोदी सरकार के साथ है. हम इसके तरीक़े पर तो सवाल खड़ा कर सकते है लेकिन सरकार के फ़ैसले का विरोध करने से पार्टी को नुकसान झेलना पड़ सकता है जिसमें जीतिन प्रसाद , आरपीएन सिंह, दीपेन्द्र हुड्डा और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल थे.


उसके बाद सबकी राय जानकर कांग्रेस वर्किग कमेटी ने कश्मीर के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया जिसमें कांग्रेस 370 का विरोध करती हुई नही दिखी बल्कि सिर्फ़ सरकार के तरीक़े पर सवाल खड़े किए गए. हालांकि अब कांग्रेस ने सभी महासचिव , प्रदेश अध्यक्ष , सीएलपी नेता और सांसदों की बैठक बुलाई है जिसमें कांग्रेस वर्किग कमेटी के प्रस्ताव पर मोहर लगे और अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस एक साथ खड़ी दिखे.


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