सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार अशोक जीरावाल ने नतीज़ो से ठीक पहले आरोप लगाते हुए कहा, 'पीएम के शॉर्टकट नाम पर बने 'नमो वाईफाई' के जरिए सूरत में ईवीएम को हैक किया जा रहा है.'
नमो मतलब नरेंद्र मोदी का शॉर्टकट!
सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार अशोक जीरावाल के इस आरोप में कोई दम है या फिर वो संभावित हार का ठीकरा ईवीएम के सिर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, इस सवाल के तमाम पहलुओं की पड़ताल से पहले आपको बता दें कि मतदान खत्म होने के बाद हार्दिक पटेल ने ईवीएम के मुद्दे को सियासी साजिश का बड़ा मुद्दा बना दिया है.
पाटीदारों के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, 'बीजेपी चुनाव जीतने के लिए शनिवार और रविवार की रात को EVM में बड़ी गड़बड़ी करने जा रही है, क्योंकि बीजेपी चुनाव हार रही है, ईवीएम में गड़बड़ी नहीं होंगी तो बीजेपी को 82 सीटें मिल रही हैं।'
हार्दिक पटेल का ये सनसनीखेज आरोप उनके अगले ट्वीट के बाद और भी ज्यादा सवालों के घेरे में आ गया. जब उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'गुजरात में भाजपा की हार का मतलब है भाजपा का पतन. EVM में गड़बड़ी करके भाजपा गुजरात चुनाव जीतेगी और हिमाचल प्रदेश का चुनाव हारेगी ताकि कोई प्रश्न ना उठाए.'
इससे ये साफ हो गया है कि बकौल हार्दिक बीजेपी ईवीएम में फर्जीवाड़ा करके गुजरात में हारी हुई बाजी जीतेगी, वहीं हिमाचल में जीती हुई बाजी हार जायेगी. वैसे मजेदार बात ये है कि खुद हार्दिक भी मान रहे हैं कि उनके इस लॉजिक पर लोगों को हंसी आना सामान्य बात है.
हार्दिक इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने कहा, 'मेरी बातों पर सिर्फ हंसी आयेगी लेकिन विचार कोई नहीं करेगा. भगवान के द्वारा बनाए गई हमारे शरीर में छेड़छाड़ हो सकती है तो मानव के द्वारा बनाई गई ईवीएम मशीन में क्यों छेड़छाड़ नहीं हो सकती ? एटीएम हैक हो सकते हैं तो ईवीएम क्यों नहीं?
हार्दिक का ये सवाल पहली नजर में वाजिब लग रहा है लेकिन इतिहास गवाह है कि साल 1999 में जब ईवीएम का पहली बार चुनाव में इस्तेमाल किया गया, तब से लेकर आजतक कई बार उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा लेकिन आजतक कोई भी ये प्रमाणिक तौर पर साबित नहीं कर पाया है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है.
ईवीएम में कथित फर्जीवाड़े का मसला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है लेकिन वहां भी आखिरी तौर पर ये साबित नहीं हो पाया कि चुनाव में जो ईवीएम इस्तेमाल किये जा रहे हैं, उनको हैक किया गया है या फिर हैक किया जा सकता है. अलबत्ता सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से कहा कि वो अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए वीवीपैट सिस्टम को लागू करे ताकि किसी तरह के फर्जीवाड़े की आशंका को खत्म किया जा सके.
गौरतलब है कि ईवीएम में किसी तरह के फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए ही गुजरात चुनाव में हर मतदान केंद्र में वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया लेकिन तब भी कांग्रेस इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि 18 दिसंबर को मतगणना के दौरान कम से कम 25% VVPAT पर्चियों को ईवीएम से क्रॉस वेरिफाइ किया जाए ताकि वोटों का मिलान किया जा सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका खारिज कर दी थी.
ईवीएम के मसले पर हार्दिक पटेल सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्श रहे हैं लेकिन जिस तरह से वो देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था पर सवाल उठा रहे हैं, उससे बस एक ही सवाल उठता है कि क्या वो अपनी संभावित हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने के लिए इस तरह के बेतुके आरोप लगा रहे हैं?
बीजेपी प्रवक्ता, शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'इसी ईवीएम से वो पंजाब में चुनाव जीते और अब आरोप लगा रहे हैं.'
मजेदार बात ये है कि दिल्ली चुनाव में ईवीएम के जरिए 70 में से 67 सीट जीतनेवाले अऱविंद केजरीवाल ने भी ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा डमी ईवीएम के जरिए विधानसभा की पटल पर उठाया था लेकिन जब चुनाव आयोग ने उन्हें चुनौती दी कि वो आयोग के बनाये ईवीएम को हैक करके दिखाएं तो फिर आप पीछे हट गई.
ईवीएम में हैकिंग का मसला तकनीकी से ज्यादा सियासी वजहों से सुर्खियां बटोरता रहा है. यूपीए सरकार के समय बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी ईवीएम में फर्जीवाड़ा का मसला लेकर कोर्ट गये थे लेकिन अब वो ईवीएम के बारे में ऑल इज वेल कहते नजर आते हैं. मतलब जीत पक्की तो ईवीएम सही और हार की आशंका तो ईवीएम सबसे बड़ा खलनायक.
ईवीएम को लेकर हार्दिक की सियासी सोच पर कोई फैसला लेने से पहले उनके एक और सनसनीखेज आरोप पर गौर फरमा लीजिए. हार्दिक ने ये भी आरोप लगाया है कि अहमदाबाद की एक कंपनी के द्वारा 140 सॉफ्टवेयर इंजीनियर के हाथों 5000 ईवीएम मशीन के सोर्स कोर्ड से हेकिंग करने की तैयारी है.