Congress Chintan Shivir 2022: उदयपुर चिंतन शिविर में कांग्रेस का पूरा ध्यान संगठन में बदलाव और अगले लोकसभा चुनाव की कार्य योजना बनाने पर होगा. इसके साथ ही देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए विकल्प देने की कोशिश करेगी. शिविर की रणनीति बनाने में लगे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक उदयपुर संकल्प में बड़े बदलाव पर फैसले लिए जाएंगे जसका असर अगले दिन से दिखने लगेगा, हालांकि उदयपुर में पार्टी अध्यक्ष को लेकर चर्चा नहीं होगी.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) उदयपुर चिंतन शिविर में शामिल होने ट्रेन से जाएंगे. उनके साथ करीब 60 कांग्रेस नेता भी चेतक एक्सप्रेस से दिल्ली से उदयपुर का सफर तय करेंगे. 13 मई को दोपहर 2 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भाषण से चिंतन शिविर की शुरुआत होगी जिसमें 430 प्रतिनिधि शामिल होंगे.
क्या है चिंतन शिविर का कार्यक्रम?
13 की शाम से 14 की शाम तक विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग समूहों में चर्चाओं का दौर चलेगा. मंथन के बाद जो प्रस्ताव तैयार किया जाएगा उस पर 15 मई की सुबह सीडब्ल्यूसी की मुहर लगाई जाएगी. दोपहर बाद राहुल गांधी का भाषण होगा और फिर पार्टी अध्यक्ष के समापन भाषण के बाद पार्टी चिंतन शिविर के संकल्पों का ऐलान किया जाएगा.
किन मुद्दों पर होगी चर्चा ?
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस चिंतन शिविर में राजनीतिक प्रस्ताव के तहत देश में ध्रुवीकरण के माहौल, राष्ट्रीय सुरक्षा, केंद्र-राज्य संबंध, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के मुद्दे के साथ ही गठबंधन पर चर्चा होगी. आर्थिक प्रस्ताव के तहत महंगाई, आर्थिक मंदी और निजीकरण जैसे विषयों पर चर्चा होगी. किसानों के मुद्दे पर बनी कमेटी ने एमएसपी, कर्ज माफी और युवाओं के मुद्दे पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा होगी. इसके अलावा समाजिक न्याय के मुद्दे पर जहां सरकार की नीतियों पर चर्चा होगी वहीं पार्टी संगठन में पिछड़े और कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर बात होगी.
संगठन में क्या बदलाव होंगे ?
सबसे अहम है संगठन में बड़े बदलावों पर चर्चा. इसके तहत पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड को सक्रिय करने, एक परिवार - एक टिकट, एक व्यक्ति - एक पद, चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी के लिए एक महासचिव, बड़े पदों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड जैसे प्रस्तावों पर चर्चा होगी.
क्या चिंतन शिविर में होगी असंतुष्ट नेताओं को साधने की कवायद ?
इन छह अलग-अलग मुद्दों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कुछ समय पहले वरिष्ठ नेताओं की कमेटी बनाई थी जिसमें असंतुष्ट माने जाने वाले नेताओं जैसे गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा , अखिलेश सिंह आदि को प्रमुखता से जगह दी गई थी.
चुनावों में लगातार हार के बाद गांधी परिवार को पार्टी नेतृत्व छोड़ने की सलाह देने वाले राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल को भी चिंतन शिविर में शामिल होने का न्यौता भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के "जी-23" के प्रमुख नेताओं में संदीप दीक्षित को छोड़ कर लगभग सभी को उदयपुर का आमंत्रित किया गया है.
चिंतन शिविर में शामिल होने वाले कुल 430 प्रतिनिधियों में सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्य, सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता, राष्ट्रीय सचिवों के साथ युवक कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हैं. कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से करीब 50 ऐसे भी नेताओं को आमंत्रित किया गया है जो किसी पद पर नहीं हैं. इनमें कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता शामिल हैं.
क्या पार्टी अध्यक्ष को भी लेकर होगी चर्चा ?
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और अगस्त में अगले अध्यक्ष का चुनाव होना है. ऐसे में चितन शिविर में अगले अध्यक्ष को लेकर चर्चा नहीं होगी. हालांकि देशभर के कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर सकते हैं. यह अब तक साफ नहीं है कि राहुल गांधी फिर से पार्टी अध्यक्ष बनेंगे या नहीं हालांकि सूत्रों के मुताबिक मार्च में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं के अनुरोध पर कहा था कि वो इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं.
क्या रहा है चिंतन शिविरों का इतिहास ?
उदयपुर चिंतन शिविर कांग्रेस का चौथा चिंतन शिविर है. इससे पहले 1998 में पंचमणि, 2003 में शिमला और 2013 में जयपुर में चिंतन शिविर आयोजित किया गया था. पंचमणि में कांग्रेस ने एकला चलो का नारा दिया था लेकिन पांच साल बाद शिमला में समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया.
जयपुर चिंतन शिविर में राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाया गया. उदयपुर चिंतन शिविर में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का एक्शन प्लान तैयार किया होगा. कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है. केवल दो राज्यों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं. 19 साल पहले शिमला शिविर के समय भी पार्टी केंद्र की सत्ता से बाहर थी, इसके बावजूद राज्यों में उसके करीब 15 मुख्यमंत्री थे. जाहिर है कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति है.
कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि पार्टी अभूतपूर्व संकट में है. केवल दो राज्यों में उसकी अपनी सरकार बची है और लोकसभा-राज्यसभा मिलाकर सौ से कम सांसद हैं. कांग्रेस के उसके सामने बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी और टीएमसी जैसे छोटे दलों की भी चुनौती है. जाहिर है बड़े बदलावों के बिना पार्टी का कायाकल्प नहीं हो सकेगा. एक बड़े नेता के मुताबिक उदयपुर चिंतन शिविर में होने वाले फैसलों को जल्द से जल्द अमल में लाने को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है.