नई दिल्ली: दिल्ली में पानी को लेकर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. पानी को तरस रही दिल्ली में इसे लेकर सड़कों पर लगातार कांग्रेस-बीजेपी ने बीते दिनों प्रदर्शन भी किए हैं. इस बीच हरियाणा की तरफ से यमुना में 16 हजार क्यूसेक पानी भी छोड़ा गया है, लेकिन पानी को लेकर चर्चा और आरोप का दौर यहां खत्म नहीं होता. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर 'वॉटर ट्रुथ रिपोर्ट ' दिखाई. जिसके जरिए उन्होंने दावा किया कि "साल 2014 से 2021 तक गंदे पानी के कारण 4 लाख से ज्यादा लोग बीमार हुए. वहीं 19 हज़ार की मौत हुई.”


केजरीवाल लोगों के दे रहे गंदा पानी’
अनिल कुमार ने पानी की सच्चाई पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल मुफ्त पानी के नाम पर गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंचा रहे हैं जिसके कारण लोगों को भयंकर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.


प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी एबीपी न्यूज से बातचीत में कहते हैं, “दिल्ली में पानी की कमी के लिए सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल दोषी हैं. अरविंद केजरीवाल का 2013 का भाषण याद आता है जहां उन्होंने कहा था कि दिल्ली में पानी की कमी नहीं है मैनेजमेंट की कमी है, तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि हम सत्ता में आएंगे तो टोटियां खोलने पर पानी आएगा. 7 साल का समय बहुत होता है, अब तक हालत बद से बत्तर हुए हैं."


अनिल चौधरी ने कहा कि दूषित पानी से होने वाले रोग को लेकर हमने RTI के माध्यम से जानकारी एकत्रित की हैं. आंकड़े आश्चर्यचकित करने वाले हैं. हमने 10 अस्पतालों की जानकारी मांगी. पानी से होने वाले रोग जैसे किडनी, मलेरिया, डायरिया, लीवर के मरीज 4 लाख 90 हजार से ज्यादा हैं. वहीं 19 हजार मौतें हुई हैं. इनमें RML , GB पंत, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री इत्यादि अस्पताल हैं. ये वो लोग हैं जिनका इलाज मोहल्ला क्लीनिक में नही हुआ, जिन्हें अस्पताल तक जाना पड़ा. फ्री पानी के नाम पर आपने फ्री बीमारी दी हैं."


'जल बोर्ड सैंपल कलैक्शन में भारी कटौती कर रहा है'
WHO के मानक के अनुसार 5% से ज्यादा सैंपल फेल होने पर पानी की सप्लाई को रोक दिए जाने के निर्देश हैं. इस मामले को लेकर अनिल चौधरी कहते हैं, " पानी की मानकता के लिए WHO के अनुसार 5 प्रतिशत से ज्यादा पानी के सैंपल फेल होने पर वह पानी पीने के उपयुक्त नही होगा और सप्लाई बंद कर दी जाएगी. दिल्ली जल बोर्ड के पास 9 वाटर सैंपल टेस्ट लैब हैं जहां गंदे पानी की सप्लाई की जा रही है. उस पर जल बोर्ड सैंपल कलैक्शन में भारी कटौती कर रहा है क्योंकि 2017 में जहां 11860 सैंपल चेक हुए वहीं 2020 में केवल 1426 रह गए और फेल सैंपल की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2017 में जहां 28 प्रतिशत सैंपल फेल हुए वर्तमान में पानी के फेल सैंपल बढ़कर 47 प्रतिशत हो गए. लगभग 47% सैंपल फेल हुए हैं. उसके बाद भी इतना दूषित पानी लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है."


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