नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) गठबंधन की ओर बढ़ रही है. वहीं, केरल में भी सीपीएम और कांग्रेस के बीच नजदीकियां बढ़ने के संकेत हैं. ऐसा पार्टी के पिछले सप्ताह हुई पोलित ब्यूरो मीटिंग में दिखा. हालांकि, केरल में सीपीएम नेताओं ने कांग्रेस से किसी प्रकार के गठबंधन से इनकार किया है, लेकिन पार्टी की पिछले साल अप्रैल में हुई मीटिंग में इस बात का अवश्य संकेत दिया गया था कि पार्टी कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ाने को तैयार है.
इस मीटिंग में कहा गया था कि लोकसभा चुनाव तक पार्टी कांग्रेस से तमाम मतभेदों को दूर कर यह तय करेगी कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया जाए. वहीं, केरल कांग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने भी सीपीएम से गठबंधन के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा, "हम सीपीएम से गठबंधन करेंगे शर्त ये है कि यह पार्टी हिंसात्मक राजनीति को छोड़ेगी." उन्होंने कहा कि इस गठबंधन के साथ सेक्युलर डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया जाएगा जिससे फासीवाद से लड़ा जाएगा.
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से गठबंधन पर सीपीएम अगले महीने होने वाली अपनी सेंट्रल कमेटी की बैठक में फैसला करेगी. पश्चिम बंगाल में इस गठबंधऩ के होने से कांग्रेस और सीपीएम को एंटी टीएमसी और एंटी बीजेपी वोट का फायदा होगा. वहीं, सीपीएम चीफ सीताराम येचुरी का कहना है कि राज्य स्तर पर समीकरणों को देखने के बाद गठबंधन पार्टी पर विचार किया जाएगा.
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