कांग्रेस में असन्तुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के सूत्रों ने पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने उस बयान को गलत बताया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि जी-23 की सारी मांगें मान ली गई हैं. जी-23 के सूत्रों ने तंज कसते हुए कहा कि लगता है कि कमलनाथ को जी-23 नेताओं से ज्यादा ही पता है! 


राज्यसभा सदस्यता को लेकर भी सवाल
दरअसल मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने दावा किया कि जी-23 और पार्टी नेतृत्व के बीच सहमति बन गई है. जी-23 की सारी बातें मान ली गई हैं. पार्टी में उठापटक के सवाल का जवाब देते हुए कमलनाथ ने आगे कहा कि वो सभी लोग हमारी पार्टी के हैं और हमारे मित्र हैं. अगले तीन महीने में आप बड़ा बदलाव देखेंगे. लेकिन जी-23 के सूत्रों ने कहा कि पार्टी में समूहिक फैसले, हर स्तर पर चुनाव करवाने से लेकर वरिष्ठ नेताओं को अहम कमिटियों में जगह देने जैसी कई मांगें हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.


सूत्रों ने कहा कि पिछले साल वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा सदस्यता खत्म होने के बाद उन्हें फिर मौका नहीं मिला. हाल में बनाए गए राज्यसभा उम्मीदवारों में आनंद शर्मा को शामिल नहीं किया गया, जिनकी सदस्यता खत्म होने वाली है. मनीष तिवारी, शशि थरूर जैसे नेताओं की लगातार उपेक्षा हो रही है. ऐसे में मांगें मान लेने जैसा दावा गलत है.


सोनिया गांधी ने की थी मुलाकात
पांच राज्यों में हुई कांग्रेस की हार के बाद से कांग्रेस के जी-23 के नेता नए सिरे से एकजुट हुए हैं. हालांकि सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा से और उससे पहले राहुल गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी. फिलहाल मामला ठंडा लग रहा है लेकिन सूत्रों का दावा है कि बात बनी नहीं है. 


कमलनाथ का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस आलाकमान के साथ ही उनके जी-23 नेताओं से भी पुराने रिश्ते हैं. माना जाता है कि अगस्त 2020 में जब पहली बार जी-23 ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी तब कमलनाथ ही थे जिन्होंने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की थी. 


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