हाल के चुनावों में कांग्रेस को मिली सिर्फ करारी हार, पार्टी नेता बागी बनने को तैयार
कांग्रेस पर पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की तरफ से इस तरह से सवाल उठाए जाना अनायास ही नहीं है. कांग्रेस पार्टी के हाथों से जहां एक-एक कर सारे राज्य निकलते जा रहे हैं तो वहीं घटिया प्रदर्शन के चलते इसके सहयोगी दल भी अब कांग्रेस से कन्नी काटने लगे हैं या फिर उन्हें वह सम्मान देने को तैयार नहीं है.
कांग्रेस का प्रदर्शन हाल के चुनावों इतना घटिया रहा कि खुद पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की तरफ से अब इसकी कार्यशैली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बिहार में करारी शिकस्त खाने के बाद पार्टी के सीनियर नेता तारिक अनवर की तरफ से महागठबंधन को हुई हार के लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहराया जाना. तारिक अनवर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का अगर इतना निराशाजनक प्रदर्शन नहीं होता तो बिहार में महागठबंधन की सरकार बन जाती.
पार्टी पर सिब्बल-तारिक अनवर ने उठाए सवाल
उसके बाद पार्टी के एक और बड़े नेता और सोनिया-राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कपिल सिब्बल ने अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में यह कहा- कांग्रेस गिरावट की ओर थी और आत्मनिरीक्षण का समय समाप्त हो गया. अब पार्टी को बहादुर होना चाहिए और उन्हें पहचानने के लिए तैयार होना चाहिए. सिब्बल ने आगे कहा कि उन्हें यह मुद्दा सार्वजनिक तौर पर उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनके विचारों को रखने के लिए पार्टी में मंच नहीं था. सिब्बल ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी से बिहार और उप-चुनावों में प्रदर्शन पर अभी तक राय जानने का इंतजार कर रहे हैं.
दिल्ली से बिहार तक सिर्फ हार
जाहिर है, कांग्रेस पर पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की तरफ से इस तरह से सवाल उठाए जाना अनायास ही नहीं है. कांग्रेस पार्टी के हाथों से जहां एक-एक कर सारे राज्य निकलते जा रहे हैं तो वहीं इसके घटिया प्रदर्शन के चलते इसके सहयोगी दल भी अब कांग्रेस से कन्नी काटने लगे हैं या फिर उन्हें वह सम्मान देने को तैयार नहीं है. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं आई. उस वक्त भी कांग्रेस नेताओं की तरफ से हार मानने की बजाय अनाप-शनाप बयान दिए गए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम की तरफ से यह बयान उस वक्त दिया गया था कि वह तो चुनाव की रेस में ही नहीं थी। उनके इस बयान की पार्टी नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी समेत कई नेताओं ने आलोचना की थी.
मध्य प्रदेश कांग्रेस का युवा चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया जब पार्टी की कार्यशैली से निराश होकर बीजेपी में गए तो पार्टी विधायकों को तोड़ते हुए मार्च में राज्य में बीजेपी की सरकार बनवा दी. इस तरह कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य चला गया. उसके बाद बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन से दबाव बनाकर 70 सीटें लेने में तो कामयाब रही लेकिन सिर्फ 19 सीट पर जीत ने राज्य में कांग्रेस को खोखले हो चुके संगठन की सच्चाई को सामने ला दिया.