बगावत के कारण सचिन पायलट के हाथ से राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री के साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद भी फिसल चुका है और उन्हें समेत उनके डेढ़ दर्जन विधायकों को विधानसभा सदस्यता रद्द करने से जुड़ा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका है फिर भी सचिन ने हथियार नहीं डाला है. दिलचस्प यह है कि पायलट पर बीजेपी के साथ मिले होने का आरोप लगाने के बावजूद कांग्रेस ने उनके लिए अपने दरवाजे अब भी खुले रखे हैं और वापसी का एक और मौका दे रही है. कांग्रेस पार्टी की इस नरमी के पीछे राहुल गांधी हैं जिन्होंने पार्टी नेताओं को पायलट को तीसरा मौका दिए जाने का निर्देश दिया है.


राजनीतिक संकट के मद्देनजर जयपुर में मौजूद कांग्रेस के एक राष्ट्रीय नेता के मुताबिक सचिन पायलट के लिए पार्टी के दरवाजे अब भी खुले हैं क्योंकि राहुल गांधी का निर्देश है कि तमाम उकसावे के बावजूद सचिन को एक और यानी तीसरा मौका दिया जाए. सचिन पायलट को परिवार में शामिल होने का एक और मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी नेता अहमद पटेल सचिन पायलट से बात कर रहे हैं. इससे पहले कांग्रेस जयपुर में दो बाद विधायक दल की बैठक बुला चुकी है जिसका सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों ने बहिष्कार किया है. इसके बाद पायलट पर कार्रवाई की गई लेकिन अब राहुल गांधी के निर्देश पर उन्हें तीसरा मौका दिए जाएगा. हालांकि यह मौका किस तरह दिया जाएगा यह साफ नहीं है.


राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने ऐसे किसी निर्देश की जानकारी से इंकार किया है. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी का यह निर्देश बुधवार दोपहर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान के बाद आया जिसमें गहलोत ने सचिन को सीधे तौर पर बीजेपी के साथ सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास इसको लेकर सबूत हैं. इसके फौरन बाद राहुल गांधी ने जयपुर में तैनात राष्ट्रीय नेताओं को निर्देश दिए कि सचिन को वापसी का मौका दिया जाना चाहिए. इसके बाद राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया के जरिए अपील की कि सचिन पायलट अपने सभी विधायकों के साथ जयपुर वापस लौटें.


हालांकि राहुल ने बुधवार को ही पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बिना सचिन का नाम लिए टिप्पणी की कि जिसे जाना है वह जाएगा, पार्टी छोड़ कर जाने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है. तब माना गया कि सचिन की बगावत को लेकर राहुल का रुख सख्त है लेकिन अब नई जानकारी के मुताबिक राहुल सचिन की ससम्मान वापसी का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.


कांग्रेस सूत्रों की मानें तो बिना शर्त यदि सचिन घर वापसी करते हैं और गहलोत सरकार को समर्थन का एलान करते हैं तो कुछ महीनों बाद उन्हें केंद्रीय स्तर पर महासचिव जैसी कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन अगर पायलट अपनी जिद पर अड़े रहे तो कांग्रेस आखिरी वक्त तक अपने दरवाजे खुले रख कर उनसे सहानुभूति बटोरने का मौका भी छीन लेना चाहती है. इसीलिए कांग्रेस दोहरी रणनीति अपना रही है.


कांग्रेस नेताओं का मानना है कि 17 जुलाई यानी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की आखिरी तारीख तक सचिन पायलट और उनके विधायकों के पास घर वापसी का पूरा मौका है.


कांग्रेस नेतृत्व जहां एक तरह अशोक गहलोत के साथ है वहीं सचिन पायलट को भी नहीं खोना चाहता. पायलट की बगावत से कांग्रेस की खूब किरकिरी हो रही है और उंगलियां पार्टी हाईकमान पर भी उठ रही है. जानकार बताते हैं कि सचिन के प्रति नरमी के पीछे गांधी परिवार की पायलट परिवार से घनिष्ठता भी बड़ी वजह है.


आपको बता दें कि अशोक गहलोत सरकार में उपेक्षा का आरोप लगा कर सचिन पायलट और 18 कांग्रेस विधायक दिल्ली-एनसीआर में रुके हैं. सचिन को मनाने की कोशिश के तहत राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल आदि नेता उनसे बात कर चुके हैं लेकिन पायलट अपनी जिद पर अड़े हैं. उन्होंने ना तो अब तक अपनी मांगे मीडिया के सामने रखी है ना ही अपनी रणनीति बताई है. बस साफ किया है कि वे बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे.