नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के आरोपों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार किया है. जेटली ने कहा कि कांग्रेस राज में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है. नोटबंदी से कांग्रेस सबसे ज्यादा परेशान है. नोटबंदी पर पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया, न कालेधन पर लगाम लगी, न भ्रष्टाचारा रुका. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि अगर बैंकों में वापस 15 लाख करोड़ रुपया वापस आ जाएगा तो फिर इस पूरी मुहिम का मतलब ही क्या निकला?

कांग्रेस पर कड़ा प्रहार करते हुये वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि पार्टी का ‘घोटालों का रिकॉर्ड’ रहा है जिससे उसे मोदी सरकार के भ्रष्टाचार -रोधी अभियान के सामने काफी परेशानी हो रही है. सरकार ने भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को बंद करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.

उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रपये नोटों पर पांबदी से दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था को कम नकद और डिजिटल भुगतान वाली अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद मिलेगी. इस व्यवस्था में जहां एक तरफ कर राजस्व बढ़ेगा वहीं दूसरी तरफ कर चोरी पर लगाम लगेगी.

जेटली ने कहा कि इसके अलावा नकद खर्च में पैन का अनिवार्य रूप से उपयोग होने से भ्रष्टाचार में कमी लाने में मदद मिलेगी. नोटबंदी से उत्पन्न अस्थायी समस्याओं का समाधान तेजी से वैध मुद्रा को चलन में लाकर किया जा रहा है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा रोजाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाये जाने के बीच वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2004 से 2014 के 10 साल के शासन काल में भ्रष्टाचार या कालाधन के खिलाफ एक भी कदम नहीं उठाया.

उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग शासन के दौरान ..2जी स्पेक्ट्रम से लेकर कोयला ब्लाक आबंटन घोटाला तथा वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीदने के लिये अगस्ता वेस्टलैंड के साथ समझौते.. में भ्रष्टाचार और घोटाले अपने चरम पर थे.

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अरूण जेटली ने कहा,‘सार्वजनिक रूप से आज भी जिन घोटालों की चर्चा होती है, वह सभी पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल के दौरान ही हुये. ऐसे में घोटालों के रिकार्ड को देखते हुए नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार के भ्रष्टाचार रोधी अभियान के समक्ष कांग्रेस को काफी परेशानी हो रही हो इसमें कोई आश्चर्य नहीं.’ उन्होंने गलत तरीके से कमाये गये धन का अधिकतर हिस्सा बड़े नोटों में रखे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले संप्रग शासन के दौरान कुल मुद्रा में उच्च मूल्य वर्ग के नोटों का हिस्सा मात्र 36 प्रतिशत से बढ़कर 80 प्रतिशत पर पहुंच गया. जेटली ने कहा,‘नकदी में लेन-देन पर आर्थिक लागत आती है, नकदी में लेनदेन अधिक करने की सामाजिक लागत भी होती है. इन लागतों को बोझ अंतत: पूरे तंत्र को उठाना पड़ता है.’उन्होंने कहा कि नोटबंदी राजग सरकार द्वारा समूचे तंत्र को चुस्त दुरस्त बनाने का ही हिस्सा है.

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जेटली ने कहा,‘हमारी रणनीति उच्च नकदी वाली अर्थव्यवस्था से कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनने की है जहां कागजी मुद्रा कम होती है.’ नकद लेन-देन तो होगा लेकिन इसके साथ डिजिटल भुगतान अब बड़े पैमाने पर होगा.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि लोगों को कुछ बदलाव से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, हम नई मुद्रा को तेजी से चलन में ला रहे हैं. रिजर्व बैंक नई मुद्रा को चलन में लाने के लिये हर दिन बड़ी मात्रा में राशि बैंकों में भेज रहा है. अगले तीन सप्ताह में बड़ी मात्रा में नकदी तंत्र में डाली जाएगी जिससे धीरे-धीरे दबाव कम होगा’

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जैसे-जैसे अधिक मुद्रा चलन में आएगी और बैंकों में फिर से उनका आवागमन होगा, एटीएम में भी अधिक-से-अधिक मुद्रा उपलब्ध होगी. नोटबंदी के लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में नकदी बैंकों में आयी है और जहां कहीं भी कर का भुगतान नहीं किया जाता था, उसकी वसूली की जाएगी.

जेटली ने कहा,‘भविष्य में ज्यादातर लेन-देन डिजिटल होगा और जब उल्लेखनीय रूप से डिजिटल लेन-देन शुरू होगा तो वह कर दायरे में आयेगा. इसीलिए भविष्य में कराधान का स्तर मौजूदा संग्रह के मुकाबले कहीं अधिक होगा.’ उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर सरकार कर दरों को अधिक युक्तिसंगत बना सकेगी. यह काम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के करों में होगा. साथ ही बैंकों के पास काफी नकदी होगी जिससे वे कम लागत पर कर्ज दे सकेंगे और अर्थव्यवस्था को मदद कर सकेंगे.