नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पांच जनवरी को हुई हिंसा पर गठित कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है. रिपोर्ट सौंपने के बाद टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इसमें हिंसा को सरकार प्रायोजित बताते हुए कुलपति, जेएनयू की सुरक्षा एजेंसी और दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. कांग्रेस ने कुलपति जगदीश कुमार को 'जेएनयू का कैंसर' करार देते हुए उन्हें बर्खास्त कर आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की. दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिया है कि कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ वकीलों की मदद से इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाए.
कांग्रेस फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व कर रहीं सुष्मिता देव ने चार मांगें सामने रखी-
- कुलपति को बर्खास्त किया जाए और उनकी नियुक्ति के बाद से जेएनयू में की गई हर नियुक्ति और फैसलों की न्यायिक जांच हो.
- पांच तारीख की घटना से जुड़े कुलपति, शिक्षक या सुरक्षा कर्मी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए क्योंकि इन सब पर साजिश का अंदेशा है.
- पांच जनवरी की घटना के लिए पुलिस कमिश्नर को जिम्मेदार माना जाए ना कि केवल स्थानीय पुलिस को.
- जेएनयू में फीस वृद्धि वापस होनी चाहिए क्योंकि इसमें विश्वविद्यालय छात्रसंघ की राय नहीं ली गई थी.
सुष्मिता देव ने ये सवाल भी उठाए
- कुलपति द्वारा जारी की गई 5 तारीख की प्रेस रिलीज में कहीं भी साबरमती हॉस्टल का जिक्र क्यों नहीं है जबकि वहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई?
- अगर छात्रों द्वारा 3 तारीख को सर्वर रूम बंद करवाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे अगले दिन ठीक करवा लिया गया तो 4 तारीख को दुबारा बंद करवाने के बाद फिर से क्यों नहीं शुरू किया गया? क्या इसलिए ऐसा किया गया कि कुलपति को मालूम था कि 5 तारीख को जेएनयू में गुंडे आएंगे?
- कुलपति कहते हैं कि वो छात्रों के पक्ष में हैं तो फिर व्हाट्सएप के जरिए परीक्षा क्यों करवाई गई?
- फीस वृद्धि के लिए की गई एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक की जगह को आखिरी वक्त में क्यों बदल दिया गया? ये बैठक जेएनयू की जगह आईटीओ के करीब हुई.
- मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमिटी के सामने भी कुलपति पेश क्यों नहीं हुए?
- छात्रसंघ ने कुलपति को चिट्ठी लिखकर कहा कि आप नया सत्र शुरू कीजिए लेकिन पहले फीस वृद्धि वापस लीजिए, लेकिन कुलपति ने इसका कोई जवाब क्यों नहीं दिया?
कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं. सुष्मिता देव ने पूछा कि कुलपति कहते हैं कि 4:30 बजे पुलिस को बुलाया गया, पुलिस कहती है कि 7:45 बजे तक इजाजत नहीं मिली थी, तो फिर कौन झूठ बोल रहा है?
कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने पूछा कि छात्रसंघ अध्यक्ष, प्रोफेसर को चोट लगी उस मामले में हत्या की कोशिश की धारा के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? पुलिस ने 161 के तहत कितने बयान करवाए गए? यहां तक कि दिल्ली पुलिस ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी वामपंथी छात्र संगठनों का नाम लिया लेकिन एबीवीपी का नाम नहीं लिया. क्या पुलिस एबीवीपी का नाम लेने से डरती है?
फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व कर रहीं सुष्मिता देव ने कहा कि सुरक्षा कम्पनी ने 5 जनवरी को शाम 8:39 और 8:43 बजे एफआईआर करवाया. ये वो वक्त था जब छात्र ट्रामा सेंटर में अपना इलाज करवा रहे थे. यानी अपना मूल काम छोड़ कर आंदोलन को तोड़ने में भूमिका निभाई. सुष्मिता देव ने आरोप लगाया कि कहा जा रहा है कि साबरमती हॉस्टल के वार्डन के कमरे से भीड़ आई. हमले के वक्त बिजली काट दी गई. सुष्मिता देव ने आरोप लगाया कि इसका मतलब ये है कि ये हमला सरकार द्वारा प्रायोजित है.
आपको बता दें कि फीस वृद्धि के खिलाफ जेएनयू में पिछले ढाई महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इस कारण परीक्षाएं नहीं हो पाई और अब नए रजिस्ट्रेशन का विरोध किया जा रहा है. इसी विवाद के बीच बीते पांच जनवरी को कैम्पस में नकाबपोश लोगों ने हिंसा की. इस हिंसा के लिए वामपंथी छात्र संगठन और एबीवीपी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इसी घटना की जांच के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चार सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया था जिसमें सुष्मिता देव के अलावा राज्यसभा सांसद नासिर हुसैन, लोकसभा सांसद हिबी इडेन और अमृता धवन शामिल थे. इस दल ने जेएनयू का दौरा कर छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की.