NDA Presidential Candidate 2022: राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (NDA) के लिए देश की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) बनेंगी एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार. मंगलवार को देर शाम बीजेपी मुख्यालय में हुई बैठक के बाद हुई बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक (BJP's Parliamentary Board) में इस बात का फैसला लिया गया. इसके पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर मंथन के लिए पार्टी मुख्यालय में बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई थी.
इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाती हैं तो वो आदिवासी समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति होंगी. इसका मतलब बीजेपी ने देश को पहला आदिवासी समुदाय का राष्ट्रपति देने का रास्ता साफ कर दिया है. वहीं अगर दलित की बात करें तो पहला दलित राष्ट्रपति कांग्रेस ने दिया था जब साल 1997 में केआर नारायणन ने राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. हालांकि उनकी दावेदारी उस समय काफी मजबूत थी क्योंकि पक्ष विपक्ष सभी का उनको समर्थन प्राप्त था. वहीं अगर हम देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति की बात करें तो वो भी हमें कांग्रेस ने ही दिया था. साल 1967 में जाकिर हुसैन देश के पहले राष्ट्रपति बने थे. वो 4 सालों तक राष्ट्रपति रहे और पद पर रहते ही उनका निधन हो गया था.
जानिए कौन हैं NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू?
जैसे ही आज बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार के नाम का ऐलान हुआ तो हर किसी की जुबां पर ये सवाल था आखिर कौन हैं द्रौपदी मुर्मू जिन्हें बीजेपी ने राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है. तो चलिए आपको बताते हैं द्रौपदी मुर्मू के बारे में. कल ही द्रौपदी मुर्मू का 64वां जन्मदिन था. द्रौपदी आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं और ओडिशा के रायरंगपुर की रहने वाली हैं. मुर्मू पिछले एक महीने से झारखंड की राज्यपाल हैं. सूत्रों की माने तो मुर्मू 25 जून को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं क्योंकि बीजेपी ने अपने सभी केंद्रीय मंत्रियों को 25 जून तक दिल्ली में रुकने को कहा है. 29 जून नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है.
कांग्रेस ने दिया देश को पहला दलित राष्ट्रपति
के आर नारायणन देश कांग्रेस के नेतृत्व में 17 जुलाई साल 1997 में देश के पहले दलित राष्ट्रपति बने थे. इसके पहले वो साल 1992 में उपराष्ट्रपति के पद पर भी रह चुके थे. नारायणन ने बताया था कि वह न तो कभी भी साम्यवाद के कट्टर समर्थक और ना ही कभी विरोधी नहीं रहे. वाम मोर्चा और नारायणन के विचारों में अन्तर होने के बाद भी वाम मोर्चा ने, उपराष्ट्रपति चुनाव और बाद में राष्ट्रपति चुनाव में के.आर. नारायणन को कुलकर समर्थन दिया. 17 जुलाई, 1997 वो ऐतिहासिक तिथी थी जब देश को पहला दलित राष्ट्रपति मिला था जिन्होंने अपने दमदार प्रतिद्वंदी पूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषन करारी शिकस्त दी थी. इस चुनाव में नारायणन को 95 फीसदी मत हासिल हुए. शिव सेना के अतिरिक्त सभी दलों ने नारायणन के पक्ष में मतदान किया. इससे पहले देश में कोई भी दलित राष्ट्रपति नहीं बना था.
साल 1967 में कांग्रेस ने दिया था देश को पहला मुस्लिम राष्ट्रपति
13 मई 1967 को जाकिर हुसैन ने देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था. आपको बता दें कि राष्ट्रपति बनने से पहले ही साल 1963 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था. जाकिर हुसैन को एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, और सुलझे हुए व्यक्ति के तौर पर देश जानता है. वो देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिनका निधन उनके कार्यकाल के दौरान ही हो गया था. जाकिर हुसैन ने यूपी के अलीगढ़ में साल 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव रखी थी जो बाद में दिल्ली आ गया. जाकिर हुसैन और उनकी पत्नी दोनों को निधन के बाद जामिया परिसर में ही दफनाया गया था.
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