नई दिल्लीः कर्नाटक चुनाव के अब तक आए नतीजों में किसी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. बीजेपी, और जेडीएस के साथ मिलकर कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही हैं. कांग्रेस ने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन का एलान कर दिया है और कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में मानने को हरी झंडी दे दी है. शाम 7 बजे तक आए नतीजों और रुझानों में बीजेपी 104 सीटों पर, कांग्रेस 78 सीटों पर, जेडीएस 38 सीटों पर आगे थी और अन्य को 2 सीटें मिलती दिख रही हैं.
अब जब तीनों ही पार्टियां अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार गठबंधन में इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है. इसका जवाब है कि 'दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है'. कुछ समय पहले हुए गोवा, मणिपुर और मेघालय के चुनावों से कांग्रेस ने सबक लिया है जहां सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद वो सरकार बनाने में विफल रही थी.
मेघालय विधानसभा चुनाव
पूरब के राज्य मेघालय में भी सबसे ज्यादा 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने में असफल रही और यहां सिर्फ 2 सीटें जीतने वाली बीजेपी सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुई. यहां विधानसभा चुनाव की 60 सीटें थी जिसमें से 59 पर चुनाव हुए. कांग्रेस 21 सीटें जीतकर नंबर वन पार्टी बनी, जबकि 19 सीटों के साथ नेशनल पीपुल्स पार्टी दूसरे नंबर पर रही. बीजेपी के खाते में महज दो सीटें आईं. मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी को बीजेपी ने समर्थन दिया. बाद में छह सीटें जीतने वाली UDP और दो सीटें जीतने वाली HSDP ने भी उसे समर्थन देने का एलान कर दिया. चार सीटों वाली पीडीएफ और एक निर्दलीय ने भी गैर कांग्रेसी गठबंधन में शामिल होने का फैसला कर लिया. अब इस तरह कुल आंकड़ा हो 34 का हो गया जो कि बहुमत के जादुई आंकड़े 30 से चार ज्यादा हो गया और कांग्रेस की जगह गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्व में आई.
मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस को मात
दरअसल मार्च, 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस ने मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें जीती थी इसके बावजूद राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने की बजाए बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था जिसने मणिपुर विधानसभा में 21 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी को पहले बुलाने का नतीजा ये निकला कि राज्य में सरकार बीजेपी ने ही बनाई और उत्तर पूर्व के राज्यों में भी अपना सिक्का जमा लिया.
गोवा विधानसभा चुनाव
गोवा में भी कुछ इसी तरह का मामला देखा गया. 2017 में ही गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे. यहां की 40 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने सिर्फ 13 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर कब्जा जमाया था. इसके बावजूद राज्य में सरकार बनाने में कांग्रेस नहीं बीजेपी सफल हुई थी. बीजेपी ने गोवा के पूर्व सीएम मनोहर पर्रिकर को गोवा भेजा जो रक्षा मंक्षी का प्रभर संभाल रहे थे. मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में गोवा की सभी स्थानीय पार्टियो और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भरोसा जताया और इस तरह बीजेपी बहुमत का जादुई आंकड़ा न होने के बावजूद स्थानीय और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से गोवा में सरकार बनाने में सफल हुई.
इस तरह के राजनीतिक वाकयों के बाद निश्चित तौर पर कांग्रेस अब संभलकर कदम रख रही है और इसीलिए दोपहर तक आते-आते उसने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन का एलान भी कर दिया. हालांकि ये कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला पर निर्भर करता है कि कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते वो बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं या नहीं. वैसे सियासी समीकरण तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि जेडीएस और कांग्रेस साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाने का काम पूरा कर सकते हैं.
पार्टी ने इस बार सरकार बनाने के लिए पूरे नतीजे आने से पहले ही कवायद शुरू कर दी है. कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेताओं गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को जेडीएस के साथ गठजोड़ की संभावनाओं पर बात करने के लिए कल ही बेंगलुरू रवाना कर दिया था. त्रिशंकु विधानसभा होने की सूरत में इस बार भी राज्यपाल किसी राज्य में सरकार बनाने का फैसला लेंगे तो कांग्रेस सबसे पहले सरकार बनाने की जुगत में जुट गई है.
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