गुजरात: कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को आखिर कौन सा फॉर्मूला दिया है?
गुजरात में नौ और 14 दिसंबर को दो चरणों में चुनाव होंगे. चुनाव परिणाम 18 दिसंबर को घोषित होंगे. गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं.
नई दिल्ली: बुधवार को हार्दिक पटेल ने जैसे ही कांग्रेस के समर्थन का एलान किया. हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 49 फीसदी को छेड़े बिना बिल लाने की बात कही है, सर्वे होगा जिससे पता चलेगा - जिस तरह से कांग्रेस पार्ट ने सहयोग दिया है वो सभी समुदाय के लिए अच्छी बात है.
कांग्रेस का फॉर्मूला क्या है? कांग्रेस के जिस कथित फॉर्मूले से हार्दिक गदगद हैं उसके मुताबिक पाटीदारों को स्पेशल कैटगरी में आरक्षण दिया जाएगा. ये स्पेशल कैटगरी का आरक्षण गुजरात के मौजूदा 49% से अधिक होगा.
पटेलों को स्पेशल कैटगरी में डालने के लिए एक कमीशन बनेगा. सरकार स्पेशल कैटगरी में आरक्षण का बिल बनाएगी. कांग्रेस के फार्मूले के मुताबिक ये बिल संविधान के अनुच्छेद 31C और 46 के प्रावधानों के आधार पर बनेगा. अनुच्छेद 46 के मुताबिक अनुसूचित जातियों , जनजातियों और कमजोर वर्ग के शैक्षणिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने की बात कही गई है
क्या 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण कोर्ट रद्द नहीं कर देगा? इसका जवाब जब देश के कानून मंत्री रहे सिब्बल साहेब के पूछा गया तो उनके पास इसका जवाब नहीं था. कपिल सिब्बल ने कहा कहा कि हमने जो भी फॉर्मूला दिया है सोच विचार कर ही दिया है.
वहीं गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पटेलों को मूर्ख बना रही है. जैसे ही नितिन पटेल की जुंबा से मूर्ख शब्द निकला, हार्दिक पटेल ने लपक लिया. हार्दिक ने ट्वीट किया, ''गुजरात के डिप्टी सीएम ने पाटीदार समुदाय को मूर्ख कहा, सुन लो भाजपा वालों आप गुजरात की जनता को मूर्ख मत समझो, यह गुजरात की जनता अब आपको जनता राज दिखाएगी. कभी हाथ काट लेंगे कहते हैं, कभी मूर्ख कहते हैं. गुजरात सिर्फ़ भाजपा का नहीं हैं. जनता को जो ठीक लगेगा वही होगा, हम पर जोहुक्मी नहीं चलेगी."
पटेलों पर क्यों मचा है संग्राम? गुजरात की सियासत में पटेलों के वोटों के संग्राम छिड़ा है. जिसकी वजह है कि गुजरात की 80 सीटों पर पाटीदार निर्णायक भूमिका हैं. 20 सीटें ऐसी हैं जहां पाटीदार 40% या उससे ज्यादा हैं. पहले चरण की 89 में से 20 सीटों पर दोनों पार्टियों के पाटीदार आमने-सामने हैं.
किस करवट बैठेगा ऊंट? 2012 में तो केशुभाई पटेल बीजेपी के साथ नहीं थे तब भी पटेलों ने बीजेपी का साथ दिया था लेकिन इस बार हवा बदली हुई दिख रही है अब इस हवा के झोंके में कौन पार पाता है और कौन गिर जाता है 18 दिसंबर को मालूम होगा.