Geeta Press Gandhi Peace Prize: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने का ऐलान होते ही इस पर विवाद शुरू हो गया. कांग्रेस नेताओं ने इस कदम का विरोध किया और कहा कि ये एक मजाक की तरह है, इसके अलावा इस कदम की तुलना गोडसे और सावरकर को पुरस्कार देने से भी की गई. अब इस मामले को लेकर हिंदू संगठन विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कांग्रेस को जवाब दिया है. VHP ने कहा कि कांग्रेस अभी तक अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं हुई और उसका बयान उसकी हताशा को दिखा रहा है.
वीएचपी ने किया पुरस्कार देने का स्वागत
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पिछले 100 सालों से गीता प्रेस ने निस्स्वार्थ व निष्ठा भाव से भारतीय सद-साहित्य, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साहित्य बहुत साधारण मूल्यों पर जन सामान्य को उपलब्ध कराया है. उन्होंने कहा कि गीता प्रेस ने भाषा, व्याकरण व शब्दावली की उत्कृष्टता, छपाई की उत्तमता, बिना विज्ञापन लिए पुस्तक व पत्र-पत्रिकाओं को जन-जन तक पहुंचाया है. उनको गांधी शांति पुरस्कार मिलना हनुमान प्रसाद पोद्दार और जयदयाल गोयनका जैसे लोगों की साधना की स्वीकार्यता ही है.
कांग्रेस पर साधा निशाना
विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष ने कांग्रेस के बयान की निंदा करते हुए कहा, ‘‘मुझे दु:ख है कि कांग्रेस अभी तक अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं हुई.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरफ से इसकी गोडसे से तुलना करना पूरे भारतीय आध्यात्मिक वांग्मय के अपमान के समान है. कुमार ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि कांग्रेस का यह बयान अपमानजनक है. मैं इसकी निंदा करता हूं और गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को दिए जाने के फैसले के लिए सरकार को साधुवाद देता हूं.’’
कांग्रेस ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने के ऐलान के बाद इसकी आलोचना की और इसे ‘उपहास’ बताया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘यह फैसला असल में एक उपहास है और सावरकर-गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.’’
(इनपुट- भाषा से भी)
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