Rajasthan: अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में जल्द विस्तार होने की संभावना, 15 नवंबर को दिलाई जा सकती है कुछ विधायकों को मंत्री पद की शपथ
Rajasthan Cabinet Expansion: गहलोत सरकार साल 2018 के अंत में राजस्थान की सत्ता पर काबिज हुई थी और सरकार के लगभग 3 साल पूरे होने जा रहे है.

Rajasthan Cabinet Expansion: अब ये तय हो चुका है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में कुछ नए चेहरे बतौर मंत्री शामिल होने जा रहे है. मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख अभी तय नहीं है लेकिन ये काम आगे सप्ताह में किसी दिन हो जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं. फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र दिल्ली के दौरे पर हैं और वो 13 नवम्बर को जयपुर वापस आ रहे हैं. ऐसे में ये माना जा रहा है कि सोमवार की सुबह यानि 15 नवम्बर को राजभवन में मंत्रिमंडल विस्तार के तहत नए मंत्रियों का शपथ दिलाई जायेगी.
गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द!
गहलोत सरकार साल 2018 के अंत में राजस्थान की सत्ता पर काबिज हुई थी और सरकार के लगभग तीन साल पूरे होने जा रहे है. अपने पूरे कार्यकाल में गहलोत ने मंत्रिमंडल का एक बार भी फेरबदल या विस्तार नहीं किया. बल्कि पिछले साल सचिन पायलट खेमे से हुए विवाद के बाद तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और खाद्य मंत्री रमेश मीणा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था. इसके अलावा गहलोत सरकार के एक मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की मृत्यु भी हो गई थी. मास्टर भंवर लाल एस सी समुदाय से आने वाले एक मात्र वो मंत्री थे जो केबिनेट दर्जा रखते थे. उनके निधन के बाद से मंत्रिमंडल में एक भी एस सी केबिनेट मंत्री नहीं है.
राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार में संभावित चेहरे
राजस्थान कैबिनेट में संभावित विस्तार की बात एससी के केबिनेट मंत्री के रिक्त पद से ही शुरु करते है. मास्टर भंवर लाल मेघवाल की मौत के बाद से राज्य के एससी विधायक ख़ास तौर पर सचिन पायलट समर्थक विधायक ये मांग लगातार उठा रहे है कि एससी से एक भी केबिनेट मंत्री नहीं है. ऐसे में ये तो तय है कि नए बनाये जाने वाले मंत्रियों में एस सी वर्ग से एक चेहरा ऐसा जरुर होगा जिसे केबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. इस दौड़ में अभी तीन नाम शामिल बताये जा रहे है ये नाम है - गोविन्द राम मेघवाल, बाबू लाल नागर और खिलाडी लाल बैरवा. इनमे से बाबूलाल नागर वैसे तो निर्दलीय विधायक है लेकिन सी एम् गहलोत के बेहद नज़दीक होने से उनका नाम दौड़ में सबसे आगे चल रहा है. नागर के मंत्री बनने से उन निर्दलीय विधायकों को भी सतुष्ट किया जा सकेगा जो गहलोत सरकार को लम्बे समय से अपना समर्थन दे रहे है.
मंत्रिमंडल में पुराने चेहरे रह सकते हैं बरकरार
मत्रिमंडल के संभावित विस्तार और फेरबदल को लेकर सूत्र ये बता रहे हैं कि फिलहाल किसी मंत्री की छुट्टी नहीं होगी. अभी गहलोत सरकार में खुद सी एम समेत कुल 21 मंत्री हैं और विधानसभा की सदस्य संख्या के हिसाब से राज्य मंत्रिमंडल में कुल तीस मंत्री हो सकते हैं. राज्य के दो मंत्री चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरो को कांग्रेस आलाकमान ने गुजरात और पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया है और ऐसे में अगर इन दोनों को एक व्यक्ति एक पद फार्मूले के तहत मंत्री पद से हटाया गया तो रिक्त पद नौ से बढ़कर 11 हो जाएंगे. इसके अलावा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी बतौर शिक्षा मंत्री गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल है. खुद सीएम अशोक गहलोत अभी डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाये रखना चाहते है क्योंकि वो उनके बेहद ख़ास है और गहलोत आने वाले दो साल में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र संगठन पर अपनी पकड़ कायम रखने के लिए डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाये रखना चाहेंगे. ऐसे में यदि डोटासरा ने मंत्री की कुर्सी खाली की तो मंत्री मंडल में एक जगह और बढ़ जायेगी और एक दर्जन मंत्री नए बनाये जा सकेंगे.
मंत्रिमंडल में महिला को जगह मिलने की संभावना
गहलोत मंत्रिमंडल में फ़िलहाल एक महिला मंत्री ममता भूपेश शामिल है. एक महिला संभावित विस्तार में जगह पा सकती है. इस दौड़ में फिलहाल दो नाम शामिल है पहला नाम शुकन्तला रावत का है जो गुर्जर समुदाय से है और अगर उनका नाम बतौर मंत्री आगे बढ़ा तो सचिन पायलट खेमा भी उसका विरोध नहीं कर सकेगा क्योंकि वो गुर्जर समुदाय से है. दूसरी महिला साफिया जुबेर खान भी मंत्री बनने की रेस में शामिल है क्योंकि वो अल्पसख्यक वर्ग से है और उनके पति जुबेर खान कांग्रेस आलाकमान के बेहद नज़दीकी भी. साफिया अलवर की रामगढ़ सीट से विधायक हैं और उनके मंत्री बनने की राह में एक मात्र रोड़ा है उनका पहली बार विधायक बनने का फार्मूला.
वैसे सीएम गहलोत के लिए नए मंत्री चुनने का काम आसान नहीं होगा. दो उपचुनाव में हाल में मिली जीत के बाद प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या 102 हो चुकी है. इसके अलावा गहलोत सरकार को संकट के समय साथ देने वाले बी एस पी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए आधा दर्जन विधायक भी मंत्री की कुर्सी पाना चाहते है. इन छह विधायकों में से एक राजेंद्र सिंह गुढ़ा का नाम संभावित विस्तार में शामिल हो सकता है. राज्य के कुल तेरह निर्दलीय विधायकों में से दस पूरी तरह गहलोत के नज़दीकी है और गहलोत इनमे से बाबूलाल नागर के साथ एक अन्य को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते हैं.
सूत्र बताते हैं कि संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में सचिन पायलट गुट के रमेश मीणा, विश्वेन्द्र सिंह मंत्री बनेंगे लेकिन इनके अलावा पायलट कैम्प से कुछ अन्य लोग भी मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं. इनमे सबसे प्रमुख नाम जाट वर्ग से आने वाले हेमा राम चौधरी और बृजेन्द्र ओला का नाम प्रमुख है. वैसे ऐसा तो बिलकुल नहीं होगा कि गहलोत अपने मंत्रिमंडल में सभी जगह पूरी भर दे. अगर बारह मंत्री की जगह खाली हुई तो कम से कम तीन जगह रिक्त ही रखी जा सकती है क्योंकि अगर विस्तार के बाद संभावित नाराजगी को खत्म करने का रास्ता खुला रहेगा. अभी गहलोत सरकार में ब्राह्मण वर्ग से दो मंत्री है जलदाय मंत्री डॉ बुलाकी दास कल्ला और चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा. गुजरात प्रभारी बने रघु शर्मा अगर मंत्रिमंडल से बाहर हुए तो इस वर्ग से डॉ महेश जोशी को मंत्री बनाया जा सकता है.
महेश जोशी को सी एम अशोक गहलोत का बेहद ख़ास माना जाता है और जातीय संतुलन के आधार पर गहलोत उन्हें मंत्री की कुर्सी से नवाज सकते है. राजपूत कोटे से अभी सिर्फ प्रताप सिंह खाचरियावास एक मात्र मंत्री है. अगर बी एस पी से कांग्रेस में आये राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मंत्री पद मिला तो सरकार में दो राजपूत मंत्री हो जायँगे. वैसे पायलट गुट की चली तो राजपूत वर्ग से दीपेंद्र सिंह शेखावत को भी मंत्री पद मिल सकता है.
मंत्रिमंडल विस्तार की ये पूरी कवायद इस बात पर निर्भर करती है कि कुल रिक्त पद कितने होंगे. एक चर्चा ये भी है कि जिन दो मंत्रियों रघु शर्मा और हरीश चौधरी को चुनाव वाले राज्यों गुजरात और पंजाब का प्रभारी बनाया गया है उन्हें फिलहाल मंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा. इसकी वजह है बतौर मंत्री इन्हे मिलने वाला प्रोटोकॉल. अगर ये मंत्री नहीं रहे तो इन्हे उन राज्यों में प्रोटोकॉल नहीं मिलेगा. अगर ये दोनों मंत्रिमंडल में शामिल रहे तो पायलट खेमे के संभावित मंत्री चार ही रह जाएंगे. लेकिन इतना तय है कि गहलोत अपने मंत्रिमंडल में कम से कम दो तीन जगह खाली ही रखेंगे. पायलट खेमे को संतुष्ट करने के लिए विस्तार के बाद निकायों और बोर्डों में होने वाली राजनैतिक नियुक्तियों में पायलट खेमे को ज़्यादा तरजीह दी जा सकती है.
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