नई दिल्ली: बिहार में कल नीतीश और बीजेपी की नई सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया और इसी के साथ फिलहाल बवाल थम गया लेकिन अब गुजरात की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है. राज्यसभा के चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस में भगदड़ मची है. कांग्रेस के छह विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. बाकी बचे विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग या किसी भी प्रकार के तोड़फोड़ से बचाने के लिए बंगलुरू भेज दिया है. पहली खेप में कांग्रेस ने अपने उन 40 विधायकों को बंगलुरू भेजा है जिनको लेकर कांग्रेस आलाकमान सशंकित था कि ये इस्तीफा देकर पाला बदल सकते हैं. इसके अलावा बाकी विधायकों को सूरत, राजकोट से भेजा गया है.
विधायकों को एक बस में भरकर बेंगलूरु के रिजॉर्ट पहुंचाया गया है जहां वो 6 अगस्त तक रहेंगे. विधायक भले ही कहें कि उन्हें कोई डर नहीं है लेकिन कांग्रेस को डर है कि ये विधायक कहीं कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल न थाम लें, जैसा कि उनके 6 विधायक अब तक कर चुके हैं. कांग्रेस का संकट ये है कि अगर 22 विधायकों ने साथ छोड़ दिया तो कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का राज्यसभा जाना मुश्किल हो जाएगा.
इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेताओं का दल आज शाम चुनाव आयोग से मिलेगा. कांग्रेस चुनाव आयोग से बीजेपी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग करेगा.
कब क्या हुआ
गुरूवार और शुक्रवार लगातार दो दिनों तक जब कांग्रेस के तीन-तीन विधायक इस्तीफा देकर अपना पाला बदले तो कांग्रेस का आलाकमान जागा. आनन फानन में शुक्रवार को राहुल गांधी के भरोसेमंद रणवीर सूरजेवाला को अहमदाबाद भेजा गया. शुक्रवार को ही रणवीर सूरजेवाला कांग्रेस के दो विधायकों पूना भाई गामित तथा मंगल गावित के साथ प्रेस के सामने आए और बीजेपी पर 10 करोड़ का लालच देकर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया. यहां पढ़ें- कांग्रेस का आरोप- 10-10 करोड़ में विधायक खरीद रही बीजेपी
किन किन विधायकों ने छोड़ी कांग्रेस?
कांग्रेस के कुल 6 विधायक अब तक इस्तीफा दे चुके हैं. ये सभी विधायक शंकरसिंह वाघेला के करीबी बताए जा रहे हैं. इनमें बलवंतसिंह छत्रसिंह राजपूत, पीआई पटेल, तेजस्वीबेन पटेल, तेजश्री पटेल और रामसिंह परमार का नाम शामिल है.
क्या कहता है गुजरात विधानसभा का गणित?
गुजरात में कांग्रेस के कुल 57 विधायक थे, लेकिन अब छह विधायकों के पाले बदलने की वजह से संख्या घटकर 51 रह गई है. दूसरी तरफ अहमद पटेल को जीत के लिए 46 विधायकों का वोट चाहिए . इस आंकड़े के हिसाब से अभी अहमद पटेल की जीत में दिक्कत नहीं दिख रही है लेकिन उन्हें असली समस्या बीजेपी नेतृत्व की अगली चाल से है.
दरअसल सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बीजेपी इस कोशिश में जुटी है कि गुजरात कांग्रेस के कम से कम 22 विधायक उसका साथ छोड़ दें. ऐसा करने से गुजरात विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 57 से घटकर 35 हो जाएगी. दूसरी तरफ कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे से विधानसभा की सदस्य संख्या 182 से घटकर 160 हो जाएगी. बीजेपी को इसका फायदा ये होगा सदन की सदस्य संख्या घटने से राज्यसभा में एक सीट की जीत के लिए 40 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी.
कौन हैं अहमद पटेल?
अहमद पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरआत की साल 1976 में भरुच से की. कांग्रेस से सक्रीय कार्यकरता रहे अहमद पटेल ने जल्द पार्टी में अपने लिए बड़ी जगह हासिल कर ली. पटेल 1977 से लेकर 1989 तक तीन बार लोकसभा के सांसद बने. साल 1985 में वो तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव भी बने लेकिन 1987 के बाद वो लोकसभा नहीं पहुंच सके.
पार्टी में अपनी जगह बना चुके अहमद पटेल को कांग्रेस ने साल 1993 में राज्यसभा भेजा और तब से वो चार राज्यसभा के सांसद है. साल 2001 में पार्टी ने उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का राजनीतिक सलहाकार नियुक्त किया. इसे बाद उनका कद और बढ गया. कांग्रेस का बाकी पार्टियों से गठबंधन और साल 2004 और 2009 की जीत के लिए पटेल को ही मास्टारमाइंड मना जाता है. उस वक्त पटेल ने ना सिर्फ यूपीए बनाने में अहम रोल प्ले किया बल्कि 2004 और 2009 में जीत भी दिलाई. इतना सब करने के बाद भी पटेल ने कोई मंत्रीपद या और जिम्मेदारी नहीं ली. वो आज भी सोनिया गांधी के राजनितिक सलहाकार हैं.