1984 Anti Sikh Riot Case: 39 साल बाद भी सिख दंगो पर कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के हाथ धुलने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस मामले में पहले ही दोषी ठहराए जा चुके टाइटलर को सीबीआई मंगलवार (11 अप्रैल) को वॉइस सैंपल के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) लैब में लेकर आई है, जहां उसने उनकी आवाज के सैंपल की रिकॉर्डिंग की जिसमें बाकी के पुराने मामलों में उनकी भूमिका की जांच की जा सके.


सीबीआई ने 1984 में राष्ट्रीय राजधानी के पुल बंगश इलाके में हुई हिंसा के सिलसिले में टाइटलर को तलब किया था, जिसमें तीन लोग मारे गए थे. टाइटलर पर आरोप हैं कि उन्होंने पीड़ितों की हत्या करने वाली भीड़ को उकसाया था.


इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुई थी हिंसा
31 अक्टूबर 1984 को देश की तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख बॉडी गॉर्ड द्वारा गोली मारकर नृशंस हत्या कर दिए जाने के बाद कांग्रेस समर्थकों और इंदिरा गांधी के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने सिखों को ढूंढ-ढूंढकर मारना शुरू कर दिया. देश के मैदानी राज्यों में कई जगह सिख समुदाय को निशाना बनाकर हिंसा की गई. 


इसी क्रम में दिल्ली में भी सिखों को टार्गेट करके हिंसा की गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिख पुरुषों को मार दिया गया, या केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया गया. रिपोर्ट्स कहती हैं कि इस हिंसा में सिख समुदाय की महिलाओं को पकड़ कर रेप किया गया और फिर उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई.


हिंसा भड़काने को लेकर दोषी पाए गए थे टाइटलर
दिल्ली में सिख बहुल एक इलाके में सिखों के प्रति हिंसा करने को लेकर, एक भीड़ का नेतृत्व करने को लेकर, उस भीड़ को आगजनी करने को लेकर कथित तौर पर कांग्रेस के पूर्व केंंद्रीय मंत्री और नेता जगदीश टाइटलर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि इस मामले में सीबीआई की जांच अभी पूरी नहीं हुई है. इसी क्रम में और गुमनाम सिख परिवारों की मौतें के प्रति जिम्मेदारों को ढ़ूंढने के लिए अभी मामले की जांच जारी है. 


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