Jairam Ramesh On PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार ( 2 अप्रैल, 2024) को निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भयंकर बेरोज़गारी, अभूतपूर्व पलायन और कानून व्यवस्था के बिगड़ते हालात को लेकर पीएम मोदी जवाब देंगे. 


कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ''प्रधानमंत्री मोदी आज उत्तराखंड के रुद्रपुर का दौरा कर रहे हैं.  उत्तराखंड एक ऐसा राज्य जो हाल के वर्षों में भयंकर बेरोज़गारी, अभूतपूर्व पलायन, ध्वस्त होते इंफ्रास्ट्रक्चर और कानून व्यवस्था के बिगड़ते हालात के कारण त्रस्त रहा है.'''  


उन्होंने आगे कहा, ''हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस अवसर पर इन तीन सवालों पर अपनी बात रखेंगे कि उनकी सरकार राज्य में कोई सार्थक सुधार करने में विफल क्यों रही है'' 


जयराम रमेश ने क्या कहा? 
1. जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी सरकार उत्तराखंड की सबसे बड़ी चुनौतियों - बेरोज़गारी और पलायन का समाधान करने में पूरी तरह से नाकाम रही है. 2021 में, एक RTI से पता चला कि पिछले 10 वर्षों में 5 लाख लोग राज्य से बाहर चले गए हैं - और पलायन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2020 का NSO डेटा चिंताजनक रूप से बेरोज़गारी की उच्च दर को दिखाता है. इसमें उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों के लगभग एक तिहाई युवा बेरोज़गार हैं.


उन्होंने कहा कि बीजेपी को इन चुनौतियों से निपटने के लिए काम करना चाहिए था, लेकिन उत्तराखंड सरकार इस मामले में बिल्कुल संवेदनहीन रही है. 2022 में UKSSSC पेपर लीक घोटाले में एक बीजेपी नेता को गिरफ़्तार किया गया. इसने 1.6 लाख उम्मीदवारों की आशाओं और उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. जब युवा प्रदर्शनकारी पेपर लीक की सीबीआई जांच की मांग को लेकर देहरादून में सड़कों पर उतरे तो बीजेपी सरकार ने उन पर लाठीचार्ज करवाने का शर्मनाक काम किया.


जयराम रमेश ने कहा कि इसी तरह अग्निपथ योजना ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए अच्छी नौकरी की एक और संभावना को ख़त्म कर दिया है. इस स्थिति को देखते हुए, उत्तराखंड में "भूतिया गांवों" की संख्या बढ़ रही है. राज्य में संभावनाएं नहीं होने के कारण हताश और निराश लोगों ने इन गांवों को छोड़ दिया है.  मोदी सरकार राज्य से बड़े पैमाने पर हो रहे इस पलायन को रोकने के लिए, गंभीर बेरोज़गारी संकट के समाधान के लिए, या कम से कम लगातार हो रहे पेपर लीक को रोकने के लिए क्या कर रही है?


2. जयराम रमेश ने कहा कि ऋषिकेश के वनंतरा रिज़ॉर्ट में अंकिता भंडारी के साथ शारीरिक हिंसा और बेरहमी से हत्या के बाद 18 महीने से अधिक समय बीत चुका है. इस मामले में मुख्य आरोपी रिज़ॉर्ट के मालिक और बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य हैं. अंकिता की माता जी के नेतृत्व में आरएसएस महासचिव अजय कुमार की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर राज्य भर में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.


उन्होंने कहा कि जेसीबी ऑपरेटर के हस्ताक्षरित हलफनामे से यह खुलासा होने के बाद कि उसने बीजेपी विधायक रेनू बिष्ट और प्रमोद कुमार के आदेश पर रिसॉर्ट के दो सबूत वाले कमरों को ध्वस्त कर दिया, पीड़िता की मां ने उनकी गिरफ़्तारी की भी मांग की है. मुख्यमंत्री भले ही बार-बार अंकिता के परिवार से साथ और समर्थन का वादा कर रहे हैं और पूरी क्षमता के साथ जांच का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन वह काम इसके ठीक विपरीत कर रहे हैं.


पिछले महीने की ही शुरुआत में एक पत्रकार को झूठे आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया, क्योंकि उसने इस मामले में सरकार की जानबूझकर की गई लापरवाही को उजागर करने का साहस किया था. प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रहे हैं कि अंकिता के परिवार को न्याय मिले? क्या न्याय की इस प्रक्रिया में बाधा डालने वाले बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही होगी?


3. जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को अपनी सरकार की एक प्रमुख उपलब्धि बताते हैं. उत्तराखंड के मामले में यह पूरी तरह से ग़लत है. यह राज्य हाल के वर्षों में बेतरतीब, गैर-जिम्मेदाराना और भ्रष्ट बुनियादी ढांचे के विकास के कारण कई आपदाएं देखने को मजबूर हुआ है. जोशीमठ जनवरी 2023 में तेज़ी से धंसना शुरू हो गया था. ज़मीन में बड़ी-बड़ी दरारें दिखाई देने से एक हफ़्ते से भी कम समय पहले, वहां के निवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीजेपी के मुख्यमंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने उनकी आशंकाओं को निराधार बताकर ख़ारिज़ कर दिया था.


उन्होंने कहा कि यह कई पहाड़ी शहरों में से एक है जो ख़तरे में है क्योंकि सरकार ने बिल्डरों को ठेका देने की जल्दी में अपने ही विशेषज्ञों की सलाह और चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दिया है. सिल्कयारा सुरंग, जहां दो सप्ताह से अधिक समय तक 41 श्रमिक फंसे रहे, के ढहने को लेकर आई एक ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि कान्ट्रेक्टर सुरक्षा सावधानियों के बजाय प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा करने को प्राथमिकता दे रहा था.






जयराम रमेश ने कहा कि बाहर निकालने के मार्गों, अलार्म प्रणाली और रियल टाइम निगरानी जैसे सुरक्षा के बुनियादी उपायों की उपेक्षा की गई. संयोग से, जिस फर्म ने सुरंग का कॉन्ट्रैक्ट जीता था, उसने 2019 से बीजेपी को 55 करोड़ रुपए दिए - बीजेपी राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम के माध्यम से कांट्रेक्टर को वफादारी के साथ बचाती रही. प्रोजेक्ट की खामियों को बताने वाले और आलोचना करने वाले सभी रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया गया. बीजेपी सरकार उत्तराखंड में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किसके लिए कर रही है - कांट्रेक्टर्स के लिए या लोगों के लिए? भूस्खलन और भूकंपीय आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्र में, बीजेपी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रही है कि सुरक्षा दिशानिर्देशों का उल्लंघन न हो, और जनता का पैसा बर्बाद न हो?


ये भी पढ़ें- योग गुरु बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश, जानिए क्या है पूरा मामला?