Electoral Bond: 'बीजेपी के घोटाले के चार तरीके, चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो', केंद्र पर जयराम रमेश का निशाना
Electoral Bond Case: जयराम रमेश ने कहा, "बीजेपी सरकार ने निजी कंपनियों का सिर्फ इस्तेमाल किया है. हमारा निशाना कोई प्राइेट कंपनी है, हमारा निशान बीजेपी सरकार है और प्रधानमंत्री हैं."
Jairam Ramesh on Electoral Bond: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी भरपूर तरीके से आई है. सबको यह जानकारी मिली कि कितना इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा गया है. कितना बेचा गया है और वो किस-किस पार्टी को दिया गया. बीजेपी सरकार ने निजी कंपनियों का सिर्फ इस्तेमाल किया है. हमारा निशाना कोई प्राइेट कंपनी है, हमारा निशान बीजेपी सरकार है और प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस इलेक्टोरल बॉन्ड को सोचा और इसे अंतिम रूप दिया."
'चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "बीजेपी ने चार तरीके से घोटाला किया. पहला रास्ता है चंदा दो धंधा लो, यह प्रीपेड घूस है. दूसरा रास्ता है ठेका दो घूस दो, ये पोस्टपेड घूस है. तीसरा रास्ता है हफ्ता वसूली और ये पोस्ट रेड है. इसका मतलब है कि पहले ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स को कंपनी के खिलाफ छोड़ो और उससे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदेंगी और बीजेपी को चंदा देगी."
'फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "चौथा रास्ता फर्जी कंपनियों, सेल कंपनियों का अपनाया गया. साल 2014 में प्रधानमंत्री बार-बार लंबे-चौड़े भाषण करते थे कि मैं फर्जी कंपनियों को बंद कर दूंगा, लेकिन इस इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में फर्जी कंपनियों के भरपूर इस्तेमाल किया गया है. बड़े तौर पर 38 कॉरपरेट ग्रुप हैं, जिन्हें पिछले 6 महीने में मोदी सरकार से 179 कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं. इन्हीं 38 ग्रुप ने 2000 करोड़ रुपये का बॉन्ड को खरीदा है."
PM मोदी के घोटाले के 4 रास्ते थे
— Congress (@INCIndia) March 23, 2024
1. चंदा दो-धंधा लो
2. हफ्ता वसूली
3. कॉन्ट्रैक्ट लो-रिश्वत दो
4. शेल कंपनी बनाओ और चंदा देते जाओ
: कांग्रेस महासचिव (संचार) @Jairam_Ramesh जी pic.twitter.com/J3MqtVIYEb
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "हमारे युवा साथियों ने सिर्फ 5 लाइन का एक कम्यूटर कोड लिखा है, जिससे सिर्फ 15 सेकंड में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मांगी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी हमारे सामने आ गई. इसी जानकारी को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था, इससे साफ है कि मोदी सरकार ये जानकारी बाहर नहीं लाना चाहती थी."