नई दिल्ली: राफेल सौदे को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में दिए गए बयान  के बाद सरकार इस मामले में लगातार घिरती नज़र आ रही है. आरोप है कि यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के दौरान राफेल सौदा तीन गुना महंगा हुआ है. अब इसी मुद्दे पर कांग्रेस मोदी सरकार को घेर रही है.


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कल मोदी सरकार को घेरा था और अब कांग्रेस प्रवक्ता रंदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने ट्वीट कर मोदी सरकार से पूछा, "क्या मोदी सरकार बताएगी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद कीमत क्या है? प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री लड़ाकू विमानों की कीमत बताने से क्यों बच रहे हैं." एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, "क्या ये सही है कि यूपीए द्वारा खरीदे जाने वाले एक जहाज की कीमत 526.1 करोड़ रुपए आती, जबकि मोदी सरकार द्वारा खरीदे जा रहे एक जहाज की कीमत 1570.8 करोड़ रुपए आएगी. अगर ये सही है तो राजस्व को हुई हानि का जिम्मेदार कौन है?"





सुरजेवाला ने आरोपों का सिलसिला जारी रखते हुए कहा कि क्या से सही है कि भारत को राफेल बेचने वाली कंपनी ने कतर को नंवबर 2017 में 12 राफेल लड़ाकू जहाज महज़ 694.80 करोड़ रुपए में बेचे हैं? वे आगे लिखते हैं क्या कारण है कि कतर को बेचे गए लड़ाकू विमानों की कीमत भारत को बेचे गए विमानों से आधी से भी कम है.


सुरजेवाला के आरोपों का सिलसिला यहीं नहीं थमा. उन्होंने इसे जारी रखते हुए पूछा कि प्रधानमंत्री ने फ्रांस में निर्मित 36 लड़ाकू विमानों को खरीदने का एकतरफा फैसला कैसे लिया, जबकि डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीज़र के हिसाब से ये संभव नहीं है. सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर हमला जारी रखते हुए भारतीय कंपनी को दरकिनार करने का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने 36 हज़ार करोड़ रुपए के रक्षा सौदे में भारत सरकार कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को दरकिनार क्यों किया, जबकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और डसॉल्ट एविएशन के बीच 13 मार्च 2014 को वर्क शेयर अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जा चुके थे?"


सुरजेवाला ने सारकारी कंपनी एचएलएच का पक्ष लेते हुए कहा कि क्या ये सच नहीं है कि एचएलएच इकलौती भारतीय कंपनी है जिसे विमान बनाने में दशकों का अनुभव है. अगर ये सच है तो एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए इसे दरकिनार क्यों किया गया?


कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी पर उठाए सवाल


इससे पहले, इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ये पहली बार हो रहा है जब सरकार देश को यह नहीं बता रही कि एक लड़ाकू विमान की कीमत क्या है. वहीं वित्त मंत्री जेटली ने राफेल डील के सवाल पर चुप्पी साध ली.


राहुल गांधी ने कहा, ''पहली बार हो रहा है कि रक्षा मंत्री कह रहीं है कि जो पैसा दिया है विमान खरीदने के लिए वो किसी को नहीं बताएंगे. ये क्या तरीका है? मैंने गुजरात के चुनाव में भी यह मुद्दा उठाया. मैंने कहा कि डील में घपला हुआ है.''


रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में क्या कहा?


रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राफेल डील से जुड़ी सूचनाएं गोपनीय हैं, इसलिए इसे साझा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, ''भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की खरीद को लेकर हुए अंतर-सरकार समझौता के अनुच्छेद 10 के अनुसार, 2008 में भारत और फ्रांस के बीच किए गए सुरक्षा समझौते के प्रावधान विमानों की खरीद, गुप्त सूचनाओं की सुरक्षा व सामग्री के आदान-प्रदान पर लागू हैं."


क्या है डील?


भारत को 2019 के अंत तक फ्रांस से 36 राफेल लडाकू विमान मिलने हैं. सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद को लेकर भारत और फ्रांस ने करार पर हस्ताक्षर किए थे.