Budget Session: 'बीजेपी का तानाशाही चेहरा नजर आया', सांसदों के भाषणों से अंश हटाने पर कांग्रेस का बीजेपी पर वार
Budget Session 2023: कांग्रेस ने कहा कि रजनी पाटिल को जांच पूरी होने से पहले ही निलंबित कर दिया गया. ये निलंबन असंगत है, अति है और सरकार के दबाव में किया गया है.
Congress On Budget Session 2023: कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने संसद में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की कुछ टिप्पणियों को सदन से निकाले जाने के बाद केंद्र सरकार पर निशाना साधा. अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने रविवार (12 फरवरी) को कहा कि उनके नेताओं के भाषणों के अंश हटाना और कांग्रेस की राज्यसभा सांसद को निलंबित किया जाना केंद्र सरकार का खुलेआम पक्षपात है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे नेताओं के भाषण के अंश को अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से हटाना बीजेपी और सत्तारूढ़ व्यवस्था का निरंकुश और तानाशाही चेहरा संसद के दोनों सदन में पूरी तरह नजर आया. राहुल गांधी की टिप्पणियों को लोकसभा में निकाले जाने के बाद, मल्लिकार्जुन खरगे की टिप्पणियों को राज्यसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया था. रजनी पाटिल को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. ये भी विडंबना है कि निकाले गए अंशों में पूछे गए प्रश्न भी शामिल हैं.
बीजेपी पर डराने-धमकाने का लगाया आरोप
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीजेपी की ओर से लोकतंत्र की हत्या का दंश देश झेल रहा है. वे सांसद को मार रहे हैं और विपक्ष के भाषणों के अंश को काट रहे हैं. बीजेपी संसद में भी डराने और धमकाने का काम कर रही है. वे नहीं चाहते कि सदन शांति से चले इसलिए संसद में टकराव की स्थिति पैदा कर रहे हैं. रजनी पाटिल को 'कारण बताओ नोटिस' भेजे बिना ही निलंबित कर दिया गया. जिस नियम के तहत उन्हें निलंबित किया गया, वो लागू ही नहीं होता.
अभिषेक मनु सिंघवी ने और क्या कहा?
उन्होंने कहा कि संसद में माननीय अध्यक्ष और माननीय सभापति, सदनों के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षक हैं. यदि दोनों सदन अभिव्यक्ति की आजादी का स्थान नहीं रह जाते हैं, तो हम अपने आप को लोकतंत्र नहीं कह सकेंगे.
अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने दावा किया कि बीजेपी को लगता है वे विपक्ष के बिना ही देश चला लेंगे, कांग्रेस (Congress) की आवाज दबाने के लिए नए नियम पेश किए जा रहे हैं. बीजेपी (BJP) संसद को टकराव, अराजकता और संघर्ष से चलाना चाहती है, वे नहीं चाहते कि सदन सर्वसम्मति, सहयोग और सहमति से चले.
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