Manipur Violence: 'पहले मणिपुर जाएं फिर हमसे टक्कर लें', बीजेपी के बयानों पर भड़के अधीर रंजन चौधरी
Manipur News: अधीर रंजन ने कहा कि जब अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो सबसे पहले चर्चा उस पर होनी चाहिए दिल्ली वाले बिल पर भी चर्चा हो जाएगी लेकिन पहले अविश्वास प्रस्ताव पर हो.
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Adhir Ranjan Chowdhury: लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार (31 जुलाई) को मणिपुर मुद्दे पर बीजेपी नेताओं के बयान को लेकर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि हम लोग तो सांसदों का प्रतिनिधिमंडल लेकर मणिपुर गए थे प्रधानमंत्री भी अपने घटक दलों के सांसदों को लेकर जाएं और फिर आकर हम से टक्कर लें इसीलिए तो हम लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया है.
अधीर रंजन चौधरी ने यह भी मांग की कि पहले अविश्वास पत्र पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो सबसे पहले चर्चा उस पर होनी चाहिए दिल्ली वाले बिल पर भी चर्चा हो जाएगी लेकिन पहले अविश्वास प्रस्ताव पर हो. उन्होंने कहा कि फिलहाल अभी बीएसी की बैठक के बारे में हमको कोई जानकारी नहीं मिली है.
केंद्र का आरोप, मणिपुर मुद्दे पर राजनीति कर रहा विपक्ष
उधर, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आरोप लगाया कि मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्ष की मणिपुर पर चर्चा की मांग को जब हमने स्वीकार कर लिया तब उन्होंने पत्र बदला और वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. उन्होंने कहा कि विपक्ष सिर्फ जिद पकड़ कर बैठा है, जबकि मामले का समाधान निकालना चाहिए.
मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर था विपक्षी गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल
29 जुलाई को विपक्षी गठबंधन INDIA का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के दो दिवसीय दौर पर गया था. प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर के इंफाल, बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और चुराचांदपुर का दौरा किया और यहां राहत शिविरों में रह रहे लोगों से बात की. सोमवार को नेताओं ने विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दलों के संसद के दोनों सदन के नेताओं को हिंसा प्रभावित राज्य की स्थिति से अवगत कराया. संसद भवन के एक कक्ष में मुलाकात की गई, जिसमें कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव और कई अन्य दलों के नेता मौजूद थे.
विपक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया आरोप
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि अगर मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं. प्रतिनिधिमंडल का यह भी आरोप है कि मणिपुर में अनिश्चितता और भय व्याप्त है, जबकि केंद्र और राज्य सरकारें वहां की स्थिति से निपटने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही हैं.
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