'पार्टी दफ्तरों की तरह काम कर रहे हैं राज भवन...', कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा ने क्यों कही ऐसी बात
Margaret Alva: मार्गरेट अल्वा ने केरल, पुडुचेरी और दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि किस प्रकार राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि की तरह काम कर रहे हैं और राज्य की नीतियों में अड़ंगा लगा रहे हैं.
Margaret Alva on Governor Working: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) ने आरोप लगाया है कि कई राज्यों में राज भवन पार्टी कार्यालयों की तरह काम कर रहे हैं और राज्यपाल सरकारों को बनाने और गिराने में राजनीतिक भूमिका निभा रहे हैं.
चार राज्यों की राज्यपाल रह चुकीं मार्गरेट अल्वा ने 17वें जयपुर साहित्योत्सव (जेएलएफ) में एक सत्र को संबोधित करते हुए शनिवार को कहा कि राज्यपाल राजनीतिक दलों के एजेंट नहीं हैं. उनसे राज भवनों में संविधान की अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है.
'राज भवन और सरकारों के बीच रोजाना देख रहे हैं संघर्ष'
उन्होंने ‘वी द पीपल : दी सेंटर एंड दी स्टेट्स’ सत्र में कहा, ‘‘राज्यपाल की भूमिका की संपूर्ण अवधारणा संघीय व्यवस्था को चालू रखना है. आज चुनौतियां हैं, सामान्य से हटकर व्यवहार किया जा रहा है और हम कई राज्यों में ऐसा देख रहे हैं. कई परिस्थितियों में राज भवन पार्टी कार्यालयों की तरह काम कर रहे हैं.’’ उत्तराखंड, गोवा, गुजरात और राजस्थान की राज्यपाल रह चुकी अल्वा ने कहा, ‘‘राज्य मंत्रिमंडलों की सलाह की अनदेखी करते हुए सरकारों को बनाने और गिराने में राज्यपाल राजनीतिक भूमिका अदा कर रहे हैं. वास्तविकता तो यह है कि हम कई राज्यों में राज भवन और सरकारों के बीच रोजाना संघर्ष देखते हैं. मेरा मानना है कि यह सही बात नहीं है.’’
'राज्यपाल के पद की गरिमा हो रही है खत्म'
उन्होंने केरल, पुडुचेरी और दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार राज्यपाल कथित रूप से केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं और राज्य की नीतियों में बार-बार अड़ंगा लगा रहे हैं. अल्वा ने कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि केरल के राज्यपाल सड़क पर बैठ कर सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं. इससे पद की गरिमा खत्म होती है. पश्चिम बंगाल की खराब हालत तो आप देख चुके हैं या पुडुचेरी, जहां राज्यपाल ने उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने से इनकार कर दिया और प्रशासन को आदेश पर आदेश देना जारी रखा. दिल्ली में क्या हो रहा है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा यह सब कहने का मतलब यह है कि यदि राज्यपाल संवैधानिक व्यवस्था की अनदेखी करेंगे तो यही लोग हैं जो केंद्र और राज्यों के बीच विवाद पैदा करेंगे.’’
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