नई दिल्ली: G-23 की अगुवाई कर रहे कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अगले दो महीने में कांग्रेस को जिताना उनकी और उनके सहयोगियों की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी या पार्टी के उम्मीदवार जहां भी बुलाएंगे वे और उनके सहयोगी वहां जाएंगे. गौरतलब है कि पांच राज्यों में मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं.


बता दें कि पार्टी में प्रचार में बुलाने के दो तरीके होते हैं. पहला ये कि पार्टी स्टार कैंपेनर के तौर प्रचार के लिए बुलाती है. इसके लिए पार्टी स्टार कैंपेनर्स की लिस्ट जारी करती है. दूसरा तरीका ये है कि उम्मीदवार भी प्रचार के लिए पार्टी के नेताओं को बुलाते हैं. गुलाम नबी आजाद का ये बयान अहम हो जाता है क्योंकि G-23 के नेता कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं.


क्या है नाराजगी की वजह?


गांधी परिवार के करीबी सूत्रों का आरोप है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें राज्यसभा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद पार्टी ने फिर से राज्यसभा नहीं भेजा. वहीं सूत्रों का आरोप है कि राज्यसभा मे विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा उम्मीद लगाए बैठे थे कि आज़ाद के बाद नेता विपक्ष उन्हें बनाया जाएगा मगर पार्टी ने ऐसा ना करके मल्लिका अर्जुन खड़गे को ये जिम्मेदारी सौंप दी और यही बात आनंद शर्मा को नागवार गुजरी.


वहीं कांग्रेस सूत्रों का आरोप है कि कपिल सिब्बल इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई और मनीष तिवारी को उम्मीद थी कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री के नाते लोकसभा में नेता की जिम्मेदारी पार्टी उन्हें देगी मगर ऐसा नहीं हुआ. पार्टी ने उस वक्त भी ये जिम्मेदारी मनीष तिवारी को न देकर पश्चिम बंगाल से वरिष्ठ सांसद अधीर रंजन चौधरी को दे दी थी. सूत्रों के मुताबिक़ मनीष तिवारी के तेवर तब से ही तल्ख है.


पश्चिम बंगाल चुनावः टीएमसी के 10 विधायक और तीन सांसद बीजेपी के सम्पर्क में, बड़ी फूट के आसार