कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने उन रिपोर्ट्स को लेकर कटाक्ष किया है, जिसमें कहा गया कि पद्म भूषण सम्मान मिलने के बाद अपना ट्विटर बाओ बदल लिया. उन्होंने इसे 'शरारती प्रोपेगेंडा' बताया.  


मंगलवार को गुलाम नबी आजाद ने ट्वीट किया, 'कुछ लोगों द्वारा शरारती प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है ताकि भ्रम पैदा किया जा सके. मेरी ट्विटर प्रोफाइल पर कुछ भी जोड़ा या हटाया नहीं गया है. प्रोफाइल वैसी ही है, जैसे पहले थी.'


नबी उन जी-23 नेताओं के ग्रुप का हिस्सा हैं, जिन्होंने साल 2020 में कांग्रेस संगठन में बड़े सुधार करने को लेकर अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखा था. इसमें फुल टाइम लीडरशिप की बात कही गई थी. इसके बाद वह उन लोगों के निशाने पर आ गए, जो पार्टी में गांधी परिवार के करीबी हैं. उनके ऊपर सत्ताधारी बीजेपी के करीबी होने का भी आरोप लगाया गया. 






मंगलवार को केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया था, जिसमें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सीपीएम नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म भूषण देने की घोषणा की गई. लेकिन भट्टाचार्य ने यह सम्मान लेने से इनकार कर लिया.  कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भट्टाचार्य के बहाने गुलाम नबी आजाद पर कटाक्ष किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, सही चीज है, वह (भट्टाचार्य) आजाद रहना चाहते हैं, गुलाम नहीं. 






पद्म पुरस्कार मिलने पर स्वीकार की बधाई


वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण मिलने की बधाई दी, जिस पर उन्होंने शुक्रिया लिखा. इसका मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि वह बुद्धदेव भट्टाचार्य की तरह पद्म भूषण सम्मान नहीं लौटाएंगे.



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