Jairam Ramesh Exclusive: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एबीपी न्यूज़ के खास शो प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को खत नहीं लिखना चाहिए था. अगर वो पार्टी को छोड़ना चाहते थे छोड़ देते, लेकिन खत नहीं लिखना चाहिए था. उन्होंने खत में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ जिस भाषा का प्रयोग किया वो स्वीकार्य नहीं है.
गुलाम नबी आजाद के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने की चर्चा है, इसपर जयराम रमेश ने कहा कि कश्मीर में हमारी यात्रा में कई दोस्त शामिल होने वाले हैं. आप जिनकी बात कर रहे हैं उनका डीएनए बदल गया है. गुलाम नबी आजाद अगर आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.
गुलाम नबी आजाद पर किया पलटवार
पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जयराम रमेश को लेकर एबीपी न्यूज़ से कहा था कि वो पहले ठीक से राजनीति तो सीख लें, अभी तो वो केवल कंप्यूटर ब्वॉय हैं. बाहर से आए लोगों को हम गंभीरता से नहीं लेते. इसपर जयराम रमेश ने कहा कि आप मुझे सीरियसली मत लीजिए, मैंने आपको ऐसा करने के लिए कब कहा? आप भारत जोड़ो यात्रा को, राहुल गांधी को सीरियसली लीजिए. आप उस पार्टी को तो गंभीरता से लीजिए जिसने आपको 50 सालों तक पहचान दी है.
जयराम रमेश ने कहा कि यात्रा में जो जन समर्थन मिल रहा है उसको वोट में परिवर्तन करना अहम है. विचारधारा की लड़ाई में भी हमें आगे तक लड़ना है. कंप्यूटर ब्वॉय का काम पार्टी का यहां तक लाना है जहां अभी हम हैं. इससे आगे ले जाने का काम विशेषज्ञों का है. राजनीतिक विशेषज्ञों का काम है कंप्यूटर ब्वॉय जो लाते हैं उसको आगे ले जाना.
क्या लिखा था गुलाम नबी आजाद ने?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने अगस्त 2022 में पार्टी छोड़ दी थी और राहुल गांधी पर 'अपरिपक्वता' व पार्टी में 'सलाहकार तंत्र को खत्म' करने का आरोप लगाया था. उन्होंने इस्तीफा देते हुए तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था. आजाद ने लिखा था कि बेशक कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आपने यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों सरकारों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी के प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी 2013 के बाद जब उन्हें आपकी की ओर से उन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, तो पहले मौजूद संपूर्ण परामर्श तंत्र को उन्होंने ध्वस्त कर दिया था.
राहुल गांधी पर लगाए थे ये आरोप
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने लिखा था कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया था और अनुभवहीन चापलूसों की एक नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी. इस अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण वो था जब राहुल गांधी ने मीडिया की चकाचौंध में एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ दिया था. उक्त अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में शामिल किया गया था और बाद में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था. इस 'बचकाने' व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से उलट दिया था.
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