Jairam Ramesh On Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने मंगलवार (7 मार्च) को अपने निजी स्टॉफ के आठ सदस्यों को उच्च सदन सचिवालय के दायरे में आने वाली 20 समितियों में नियुक्त किया था. इन नियुक्तियों पर कांग्रेस (Congress) के राज्यसभा (Rajya Sabha) सांसद जयराम रमेश ने सवाल खड़ा किया है. जयराम रमेश ने गुरुवार (9 मार्च) को कहा कि एक समिति का अध्यक्ष होने के नाते इन नियुक्तियों को लेकर उनसे कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया.


उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति ने कहा है कि अपने कर्मचारियों को विभिन्न समितियों से जोड़ने का उनका विवादास्पद फैसला संबंधित अध्यक्षों के परामर्श के बाद लिया गया था. मैं एक स्थायी समिति की अध्यक्षता करता हूं और मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि मुझसे बिल्कुल भी सलाह नहीं ली गई. जयराम रमेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति के प्रमुख हैं. 


विचार-विमर्श किया गया था- धनखड़ 


उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसदीय समितियों के साथ अपने ‘‘निजी स्टॉफ’’ संबंद्ध करने के मामले का उल्लेख करते हुए गुरुवार को कहा कि इस कदम को उठाने से पहले समितियों के प्रमुखों और सदस्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया था. धनखड़ पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह की ‘मुंडक उपनिषद’ पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. 


धनखड़ ने कर्ण सिंह की ओर मुखातिब होते हुए कहा, "आपको संसद के कार्य में संसदीय समितियों की भूमिका से आप सभी परिचित हैं. मुझे कुछ समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों ने सुझाव दिए कि मैं समितियों की उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें अधिक प्रभावकारी बनाने के लिए कुछ करूं." उनका कहना था, "मैंने समितियों को और अधिक कुशल और प्रशिक्षित मानव संसाधन देने का निर्णय किया. इस निर्णय से पहले समितियों के सदस्यों और अध्यक्षों से व्यापक विमर्श किया गया है."


आठ सदस्यों को किया नियुक्त


राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार 20 समितियों में धनखड़ के निजी कर्मचारी के आठ सदस्यों को नियुक्त किया गया है, जिनमें उपराष्ट्रपति सचिवालय में तैनात चार कर्मचारी शामिल हैं. राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी आमतौर पर संसदीय समितियों की सहायता करते हैं और समिति सचिवालयों का हिस्सा भी बनते हैं.


 





समितियों में नियुक्त लोगों में ये शामिल


राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि समितियों में अध्यक्ष की ओर से अपने कर्मचारियों को नियुक्त करने की कोई प्रधानता नहीं रही है. समितियों में नियुक्त लोगों में उपाध्यक्ष के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी), अध्यक्ष के ओएसडी और उपाध्यक्ष के निजी सचिव शामिल हैं. 


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