Congress leader Jairam Ramesh: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणी पर निसाना साधा है. धनखड़ ने अपने एक बयान में कहा कि विदेश जाना छात्रों के लिए 'नई बीमारी' बन गई है.  इस टिप्पणी पर जयराम रमेश ने जवाब देते हुए कहा कि ये कोई बीमारी नहीं है, बल्कि 'बीमार शिक्षा प्रणाली' का लक्षण मात्र है, जो राजनीतिक हस्तक्षेप से और खराब होती जा रही है.


राजस्थान के सीकर में धनखड़ ने शनिवार (19 अक्तूबर) को कहा था कि विदेश जाना देश के बच्चों को होने वाली नई बीमारी है. इस दौरान उन्होंने इसे ‘विदेशी मुद्रा पलायन और प्रतिभा पलायन’ दोनों बताया था. धनखड़ की टिप्पणी पर एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी, जयराम रमेश ने कहा, "माननीय उपराष्ट्रपति ने दुख जताया है कि विदेश जाना छात्रों के लिए एक नई बीमारी बन गई है". रमेश ने कहा, "वास्तव में यह एक पुरानी बीमारी है जो कई दशकों से छात्रों को प्रभावित कर रही है".


सीयूईटी (CUET) कई युवाओं को दूर भगाता है
जयराम ने आगे कहा मैं भी 1975 में इस वायरस से संक्रमित हुआ था, लेकिन समय रहते ठीक हो गया और 1980 में भारत वापस आ गया. उन्होंने कहा कि छात्रों के विदेश जाने के पीछे कई कारण है. छात्र अब कई कारणों से विदेश जाते हैं, सीयूईटी (CUET) कई युवाओं को दूर भगाता है. 


छात्रों का विदेश जाना कोई बीमारी नहीं-जयराम रमेश
रमेश ने आगे कहा शिक्षा की गुणवत्ता और पेशेवर अवसरों में अंतर बहुत स्पष्ट है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इनमें से कई संस्थानों को जिस तरह से चलाया जाता है, वह बेहद निराशजनक है. इसलिए मैं कहता हूं कि, "छात्रों का विदेश जाना कोई बीमारी नहीं है, यह केवल एक बीमार शिक्षा प्रणाली का लक्षण है" जो राजनीतिक हस्तक्षेप से और भी खराब होती जा रही है.


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