Congress On EWS Reservation: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को दिए गए आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बरकरार रखा है. सोमवार (7 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने दाखिलों और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. कांग्रेस (Congress) ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. 


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10% कोटा बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पार्टी स्वागत करती है. इस यात्रा में कांग्रेस ने अहम भूमिका निभाई. ये आरक्षण मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के जरिए आरंभ की गई प्रक्रिया का परिणाम है. 


जाति जनगणना पर पूछा सरकार का रुख


जयराम रमेश ने ये भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को ये भी स्पष्ट करना चाहिए कि ताजा जाति जनगणना पर उसका क्या रुख है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसका उल्लेख करना भी जरूरी है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना को 2012 तक पूरा कर लिया गया था. उस वक्त मैं ग्रामीण विकास मंत्री था. मोदी सरकार को स्पष्ट करना होगा कि ताजा जाति जनगणना को लेकर उसका क्या रुख है. कांग्रेस इसका समर्थन करती है और इसकी मांग भी करती है. 


उदित राज ने नाराजगी जताई


कांग्रेस महासचिव का ये बयान पार्टी के नेता उदित राज के बयान के बाद आया है. कांग्रेस नेता उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, "सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक. ईडब्ल्यूएस आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नहीं है, लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा."


उदित राज ने कहा कि, "मैं गरीब सवर्णों के आरक्षण के विरुद्ध नहीं हूं बल्कि उस मानसिकता के हूं कि जब-जब SC/ST/OBC का मामला आया तो हमेशा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% सीमा पार नहीं की जा सकती." 


ये भी पढ़ें-


EWS Quota Verdict: 'संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध', आर्थिक आधार पर आरक्षण से असहमत CJI और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट बोले