'पहले गांबिया और अब उज्बेकिस्तान...', जयराम रमेश बोले- जानलेवा लगता है मेड इन इंडिया कफ सिरप
Congress On Uzbekistan Children Death: उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से पहले अफ्रीकी देश गांबिया (Gambia) में भी ऐसी ही दवा पीने से 66 बच्चों बच्चों की मौत हो गई थी.
Uzbekistan Children Death: मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में एक कफ सिरप से 18 बच्चों की जान चली गई. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि यह भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी का कफ सिरप (Dok-1 Max syrup) था. अब इसे लेकर भारत में भी राजनीति तेज हो गई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी मेड इन इंडिया कफ सिरप को जानलेवा बताया है.
जमराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि मेड इन इंडिया कफ सिरप जानलेवा लगता है. पहले गांबिया में 70 बच्चों की मौत हुई थी और अब उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी सरकार को भारत के बारे में शेखी मारना बंद करना चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
सिरप में पाया गया दूषित एथिलीन ग्लाइकोल
उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry of Uzbekistan) की तरफ से कहा गया है कि बच्चों की मौत सिरप पीने के बाद हुई. उनका दावा है कि लैब में किए गए एक टेस्ट में भारतीय कफ सिरप में दूषित एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया है. यह सिरप नोएडा की मैरियन बायोटेक में बनाया जाता है.
Made in India cough syrups seem to be deadly. First it was the deaths of 70 kids in Gambia & now it is that of 18 children in Uzbekistan. Modi Sarkar must stop boasting about India being a pharmacy to the world & take strictest action.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 29, 2022
'डॉक्टर की सलाह के बिना दिया गया सिरप'
हालांकि, मंत्रालय ने यह भी बताया कि सिरप बिना डॉक्टर की सलाह के दिया गया था. इसमें ज्यादा मात्रा में पेरासिटामोल और बच्चों के माता-पिता ने इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया. इस दवा के ज्यादा सेवन से उल्टी, बेहोशी और दिल से जुड़ी परेशानी हो सकती है. इस मुद्दे को लेकर अब भारत में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत की खबरें आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) उज्बेकिस्तान में स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में हैं. आगे की जांच में मदद करने के लिए भी डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से तैयार है.
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