Mani Shankar Aiyer on Muslims: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि भारतीय सेना और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाला राजनीतिक नेतृत्व 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से आने वाले शरणार्थियों के आगमन और पाकिस्तानी सेना पर एक्शन लेने को लेकर पूरी तरह से सहमत थे. उन्होंने कहा कि जैसा अब मुस्लिम-विरोधी होना फैशनेबल हो गया है, वैसा 1970 में नहीं था. उन्होंने 'नागरवाला कांड' में शामिल पात्रों का जिक्र करते हुए ये बातें कहीं.
दरअसल, नागरवाला कांड मई 1971 में हुआ था, जिसमें पीएमओ के नाम पर 60 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. कहा गया था कि प्रधानमंत्री को बांग्लादेश में एक जरूरी मिशन के लिए पैसों की जरूरत है, जिसे ट्रांसफर भी कर दिया गया था. इस कांड पर एक किताब 'द स्कैम दैट शॉक ए नेशन-नागरवाला स्कैंडल' लॉन्च की गई है. इसमें 1971 में इंदिरा गांधी की चुनावी जीत और भारत-पाकिस्तान युद्ध के जरिए बांग्लादेश बनने की जानकारी भी दी गई है.
नागरवाला कांड के पात्रों का किया जिक्र
किताब की लॉन्चिंग में पहुंचे मणिशंकर अय्यर ने इस कांड को अंजाम देने वाले रिटायर्ड आर्मी कैप्टन रुस्तम शोहराब नागरवाला, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की संसद मार्ग शाखा के मुख्य कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा को लेकर भी बात की. मल्होत्रा को पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम से संबंधित मिशन में कुछ गुप्त काम के लिए एक कूरियर को 60 लाख रुपये सौंपने के लिए प्रधानमंत्री सचिवालय से एक टेलीफोन कॉल आया था, जिसे शोहराब नागरवाला ने किया था, क्योंकि उन्हें वो पैसे चाहिए थे.
नागरवाला कांड के जरिए बीजेपी पर साधा निशाना
भारत-पाकिस्तान युद्ध और उसकी पृष्ठभूमि में हुए नागरवाला कांड का जिक्र करते हुए मणिशंकर अय्यर ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी निशाना साथा. उन्होंने बताया कि किस तरह लोगों में मुस्लिमों के प्रति पहले नफरत नहीं थी. उन्होंने कहा, "रुस्मत शोहराब नागरवाला भारत-पाकिस्तान सीमा पर हरबंशपुर नाम की जगह पर तैनात था. उसने अपनी आंखों से उन 1.5 करोड़ लोगों पर हुए अत्याचार को देखा, जो पाकिस्तान और भारत तथा भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के चलते इधर-उधर गए थे."
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "वेद प्रकाश मल्होत्रा खुद पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) से आए एक शरणार्थी थे. उनमें देशभक्ति का जोश भरा हुआ था, जो काफी हद तक मुस्लिम विरोधी और पाकिस्तान विरोधी, खासतौर पर उसे पाकिस्तान विरोधी ही माना जाना चाहिए, था. ऐसा आज भी माना जाता है, क्योंकि 1970 में मुस्लिम विरोधी होना फैशनेबल नहीं था, जैसा की अब है." अय्यर कहना चाह रहे थे कि जब मल्होत्रा को मालूम चला था कि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन होने वाला है तो उन्होंने जोश में आकर पैसे ट्रांसफर कर दिए थे.
क्या था नागरवाला कांड?
24 मई 1971 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सचिव पी.एन. हक्सर के एक कथित टेलीफोन कॉल आने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की संसद मार्ग शाखा के मुख्य कैशियर ने प्रधानमंत्री के कूरियर को 60 लाख रुपये सौंप दिए. जब मुख्य कैशियर ने रसीद के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से संपर्क किया, तो उसे बताया गया कि न तो हक्सर और न ही इंदिरा गांधी ने ऐसा कोई निर्देश दिया था और न ही किसी को धन के लिए भेजा था. इस तरह वे ठगी के शिकार हो गए. बाद में पता चला कि कॉल करने वाला शख्स रुस्तम नागरवाला था, जिसने बांग्लादेश में ऑपरेशन के नाम पर धोखाधड़ी की थी.
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