कांग्रेस पार्टी में लंबे समय तक खजांची पद पर रहे मोतीलाल वोरा ने 93 साल की आयु में सोमवार (21 दिसंबर) को इस दुनिया से अलविदा कह दिया. लेकिन, उन्होंने ताउम्र गांधी परिवार के लिए जिस वफादारी से काम किया इसके लिए उन्हें पार्टी में हमेशा याद किया जाता रहेगा. मोतीलाल वोरा को साल 2000 में अहमद पटेल से पार्टी के खजांची की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उसके बाद वह लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष पद पर रहे. लेकिन, साल 2018 में उनकी बढ़ती उम्र का हवाला देकर तत्कालीन कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए अहमद पटेल को कोषाध्यक्ष बनाया था.
हालांकि, साल 2000 से पहले अहमद पटेल ही पार्टी के कोषाध्यक्ष पद पर थे. उन्होंने सीताराम केसरी के पार्टी अध्यक्ष और सोनिया गांधी के शुरुआती नेतृत्व के दिनों में इस पद को संभाला था. लेकिन, बाद में उन्हें सोनिया गांधी का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया गया था.
मोतीलाल वोरा के निधन पर प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा- "मोतीलाल वोरा जी के निधन से कांग्रेस पार्टी के हर एक नेता, हर एक कार्यकर्ता को व्यक्तिगत तौर पर दुःख महसूस हो रहा है. वोरा जी कांग्रेस की विचारधारा के प्रति निष्ठा, समर्पण और धैर्य के प्रतीक थे. 92 साल की उम्र में भी हर मीटिंग में उनकी मौजूदगी रही, हर निर्णय पर उन्होंने अपने विचार खुलकर प्रकट किए. आज दुःख भरे दिल से उन्हें अलविदा कहते हुए यह महसूस हो रहा है कि परिवार के एक बड़े बुजुर्ग सदस्य चले गए हैं. हम सब उन्हें बहुत याद करेंगे."
बढ़ती उम्र के बावजूद आलाकमान ने हमेशा किया भरोसा
मोतीलाल वोरा की उम्र बढ़ने के बाजवूद वह 24, अकबर रोड के भरोसेमंद नेता बने रहे. यही वजह रही कि वे डेढ दशक से ज्यादा वक्त तक लगातार कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष पद पर बने रहे और उसके बाद उन्हें इस पद से मुक्त कर सेक्रेटरी बनाया गया था. मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1927 को राजस्थान के नागौड़ जिले में एक पुष्कर्ण ब्रह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और माता का नाम अंबा बाई था.
मोतीलाल वोरा की शिक्षा-दीक्षा रायपुर और कोलकाता से हुई थी. उन्होंने कई अखबारों में काम किया. उनकी शादी शांति देवी वोरा के साथ हुई. उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं.
मोतीलाल वोरा 14 फरवरी 1988 को राज्यसभा सदस्य बने थे और केन्द्रीय स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का पद संभाला था. वह 16 मई 1993 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बने और 3 मई 1996 तक इस पद को संभाला. 1998-99 में वह 12वीं लोकसभा के सदस्य बने. मोतीलाल वोरा कांग्रेस आलाकमान के करीबी समझे जाते थे और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का समर्थन किया था.
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