नई दिल्ली: भारत के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में कुछ नेताओं के दस महीने से बंद रहने पर न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि देश अब उन लोगों की स्थिति को समझेगा जो कश्मीर में पिछले दस महीनों से अपने घरों में बंद हैं.


चिदंबरम ने कहा, ''जैसा कि हमने कल लॉकडाउन 4.0 शुरू किया है, मैं सोचता हूं कि कश्मीर के लोगों का क्या हाल होगा, जो लॉकडाउन के भीतर लॉकडाउन में मुसीबतों में जी रहे हैं."





नजरबंदी के मुद्दे पर भी पूर्व वित्तमंत्री ने अपने जज्बात शेयर किए हैं. वह कहते हैं, ''अब कम से कम, भारत के लोग समझेंगे कि उन पर किस तरह का घोर अन्याय हो रहा है कि जिन्हें नजरबंद किया गया है और वो जो अभी भी नजरबंद हैं.''

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को कश्मीर से धारा 370 हटा दी थी. वहीं तो महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे कुछ राजनीतिक नेताओं को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत प्रतिबंधात्मक हिरासत में ले लिया गया था. हालांकि फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को कई महीनों की नजरबंदी के बाद रिहा कर दिया गया था. वहीं पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पीएसए के तहत हिरासत में बनी हुई हैं.


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