कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने गरमाई उत्तर प्रदेश की राजनीति
प्रियंका बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के लखनऊ स्थित पार्टी दफ़्तर में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही हैं. इन सबके बीच फ़िलहाल यूपी की मौसम की गलन के बीच राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है.
लखनऊ: नागरिकता कानून को लेकर पूरे देश में विरोध और समर्थन का दौर चल रहा है. इस बीच यूपी में बीते हफ़्ते हुई हिंसा के बाद लगातार राजनीति गरमाई हुई है. उसमें कल एक बार फिर माहौल गरमाया जब प्रियंका गांधी लखनऊ पहुंच गईं. वैसे तो प्रियंका गांधी का कार्यक्रम सिर्फ पार्टी दफ़्तर में स्थापना दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेने का था लेकिन अचानक शाम होते ही प्रियंका गांधी सड़कों पर निकलीं और वहीं से ठंडे मौसम में राजनीति गर्म हो गई. पहले तो कांग्रेस ने पूरे देश में संविधान बचाओ, भारत बचाओ मार्च का आह्वान किया था लेकिन लखनऊ में निषेधाज्ञा होने की वजह से प्रियंका को मार्च की अनुमति नहीं मिली.
लखनऊ में दिन भर प्रियंका गांधी ने पार्टी दफ़्तर में अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. फिर शाम को वो अचानक निकल गईं. पुलिस को लगा कि वो जॉपलिंग रोड के कौल हाउस जा रही हैं, जहां वो रुकती हैं. लेकिन वुमन पावरलाइन चौराहे पर उनका काफ़िला मुड़ने की जगह सीधा निकल गया तो पुलिस के हाथ पांव फूल गए कि आख़िर प्रियंका गांधी जा कहां रही हैं. फिर थोड़ा आगे नेहरू एनक्लेव के पास पुलिस ने उनकी कार को रोक दिया. पुलिस के साथ प्रियंका और बाक़ी कांग्रेसी नेताओं की थोड़ी बकझक हुई. तभी अचानक एक पार्टी कार्यकर्ता स्कूटी से आया और प्रियंका गांधी उसपर बैठकर आगे निकल गईं. फिर से पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा लेकिन तबतक प्रियंका की स्कूटी पॉलिटेक्निक चौराहे के पास पहुंच गई. वहां पुलिस ने 5-6 बैट्री रिक्शा रोड के बीच में लगाकर प्रियंका की स्कूटी रोकने की कोशिश की. तब प्रियंका स्कूटी से उतरकर पैदल चलने लगीं.
पॉलिटेक्निक चौराहे से पैदल चलते हुए प्रियंका इंदिरा नगर सेक्टर-18 में पूर्व आईजी एसआर दारापुरी के घर पहुंच गईं. जब दारापुरी की पत्नी और अन्य परिजनों से मिलकर प्रियंका निकलीं तो एक ऐसा बयान दिया, जिससे यूपी में राजनीति में बवाल मच गया. प्रियंका ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाया कि एक महिला पुलिसकर्मी ने उनका गला दबाने और धक्का देने की कोशिश की. प्रियंका का आरोप है कि इस धक्कामुक्की में वो गिर गईं. कांग्रेस की बड़ी नेता के साथ ऐसे सलूक के आरोप के साथ ही यूपी की योगी सरकार सक्रिय हो गई. एक तरफ़ कांग्रेस अपने तरीक़े से इस मामले को उठाने में लग गई तो वहीं दूसरी तरफ़ योगी सरकार प्रियंका के दावे को झूठा क़रार देने की कोशिश करने लगी. कांग्रेस ने प्रियंका के साथ हुई कथित बदसलूकी की शिकायत मानवाधिकार आयोग में कर दी तो यूपी पुलिस की सीओ रचना सिंह ने उनपर लगाए गए आरोपों की शिकायत अपने अधिकारियों से की.
सीओ अर्चना सिंह की शिकायत पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उनके बचाव में आ गए. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने प्रियंका गांधी के आरोपों पर कहा कि उनकी सीओ सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रही थीं. गला दबाने या धक्का मुक्की के आरोप सही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि सीओ अर्चना सिंह के चचेरे भाई की मौत की ख़बर मिलने के बाद भी अर्चना सिंह अपनी ड्यूटी करती रहीं. एसएसपी के मुताबिक़ सीओ मानसिक तौर पर परेशान होने के बावजूद अपनी ड्यूटी पर अडिग रहीं. इसके बाद ख़ुद अर्चना सिंह मीडिया के बीच आयीं और प्रियंका गांधी के आरोपों को गलत क़रार देते हुए पूरा वाकया सुना दिया.
अब कल शाम लखनऊ में हुए विवाद में कौन सच्चा कौन झूठा, ये तो नहीं पता लेकिन बीजेपी और कांग्रेस में एक बार फिर से ज़ुबानी जंग तेज़ हो गई है. एबीपी न्यूज़ ने जब प्रियंका गांधी से पूछा कि वो कब तक लखनऊ में हैं, तो इसके जवाब में प्रियंका ने कहा कि अब तक उन्होंने वापसी की टिकट बुक नहीं की है. इस बयान के बाद किसी को नहीं पता कि प्रियंका कब तक लखनऊ में रहकर नागरिकता कानून के विरोध को आगे बढ़ाएंगी. फ़िलहाल प्रियंका लखनऊ में हैं और बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के वो लखनऊ स्थित पार्टी दफ़्तर में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही हैं. अब अगर प्रियंका वापस दिल्ली नहीं जाती हैं और अपना ठिकाना लखनऊ को बनाकर रखती हैं, तो ज़ाहिर है पुलिस के लिये तो प्रियंका चुनौती हैं ही, योगी सरकार के लिए भी राजनीति की दिशा तय करना टेढ़ी खीर साबित होगी. इन सबके बीच फ़िलहाल यूपी की मौसम की गलन के बीच राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है.
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