नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी खाता खोलने में भी नाकामयाब रही. अब चुनाव नतीजों को लेकर प्रियंका गांधी ने पहली बार बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए संघर्ष का समय है. उन्होंने कहा, ''जनता जो करती है, सही करती है. ये हमारे लिए संघर्ष का समय है. हमें बहुत संघर्ष करना है. हम करेंगे.''


विधानसभा चुनाव में AAP ने प्रचंड जीत हासिल की है. 70 सीटों में से 62 सीटों पर पार्टी को सफलता मिली है. वहीं बीजेपी ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस इस बार भी खाता खोलने में नाकामयाब रही. 2015 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. तब AAP ने 67 और बीजेपी ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी.


2015 के मुकाबले कांग्रेस को वोट प्रतिशत का भी भारी नुकसान हुआ है. पार्टी को 4.26 फीसद वोट मिले हैं वहीं 2015 के चुनाव में 9.65 फीसद वोट मिले थे.


पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर घमासान मच गया है और नेताओं के बीच जुबानी जंग भी छिड़ गई है. पार्टी के प्रभारी पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को बीजेपी के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं.


दरअसल, उस वक्त एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब कांग्रेस नेता चाको ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं. बाद में चाको ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से शीला दीक्षित को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, बल्कि सिर्फ यह तथ्य रख रहे थे कि पार्टी का प्रदर्शन कैसे धीरे-धीरे खराब होता चलाया गया और कांग्रेस का वोट आप की तरफ चला गया.


पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. देवरा ने कहा, ‘‘शीला दीक्षित जी एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और प्रशासक थीं. मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली की तस्वीर बदली और कांग्रेस पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई. उनके निधन के बाद उनको जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने अपना जीवन कांग्रेस और दिल्ली के लोगों के लिए समर्पित कर दिया.’’


शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ 2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे. शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया. 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया.’’


दूसरी तरफ, दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रमुख शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी पार्टी के उन नेताओं पर निशाना साधा जो दिल्ली के जनादेश को भाजपा की हार के तौर पर पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए.


दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम द्वारा विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला परिणाम करार दिए जाने पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए.


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