राहुल गांधी ने दी 'ईद-ए-मिलाद-उन-नबी' की मुबारकबाद, कहा- ये भाईचारे की भावना का मार्गदर्शन
भारत और एशिया महादेश के कई इलाकों में पैगंबर के जन्म दिवस पर खास इंतजाम किया जाता है.इस साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से कार्यक्रम को धूमधाम से करने की इजाजत नहीं होगी.
नई दिल्ली: आज पूरा देश धूमधाम से ईद-ए-मिलाद-उन-नबी बना रहा है. इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर देशवासियों को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद दी है. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी हर साल पैगम्बर मोहम्मद के जन्म दिवस पर मनाया जाता है. इस मौके पर अल्लाह के आखिरी पैगंबर की जीवनी के बारे में लोगों को बताया जाता है.
राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘’ ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर दयालुता और भाईचारे की भावना सभी का मार्गदर्शन कर सकती है. बहुत मुबारकबाद.’’
On the occasion of #EidMiladUnNabi, may the spirit of kindness and brotherhood guide one and all. Heartiest wishes. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की दिल से मुबारकबाद!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 30, 2020
बता दें कि इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अव्वुल में धूमधाम से जश्न की शुरुआत होती है. भारत और एशिया महादेश के कई इलाकों में पैगंबर के जन्म दिवस पर खास इंतजाम किया जाता है. मुसलमान जलसा-जुलूस का आयोजन करते हैं और घरों को सजाते हैं. कुरआन की तिलावत और इबादत भी की जाती है. गरीबों को दान-पुण्य भी दिए जाते हैं.
कोरोना ने फीका किया जश्न
जम्मू-कश्मीर में हजरत बल दरगाह पर सुबह की नमाज के बाद पैगम्बर के मोहम्मद के अवशेषों को दिखाया जाता है. हैदराबाद में भव्य धार्मिक मीटिंग, रैली और पैरेड भी किया जाता है. हालांकि, इस साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से कार्यक्रम को धूमधाम से करने की इजाजत नहीं होगी. मगर, घर या मस्जिदों में पैगम्बर को याद करने के लिए महफिल सजाई जा सकती है.
आज शाम से शुरू होकर अगले दिन होगा खत्म
इस साल ईद मिलादुन्नबी आज शाम से शुरू होकर अगले दिन की शाम को खत्म होगा. कहा जाता है कि पहले मिस्र में पैगम्बर मोहम्मद का जन्म दिन आधिकारिक तौर पर मनाया गया. उसके बाद तुर्क मेवलिद कंदील ने 1588 में जन्म दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की. ईद मिलादुन्नबी को करीब सभी मुस्लिम देशों में हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाने लगा है. सिर्फ कतर और सऊदी अरब में सरकारी छुट्टी की आधिकारिक घोषणा मना है. सल्फी विचारधारा के मुताबिक, पैगम्बर मुहम्मद के जन्म दिन का जश्न इस्लामी परंपरा का हिस्सा नहीं है. उनका मानना है कि इस्लाम में सिर्फ ईद-उल-फितर और ईद-उज-अजहा का विशेष स्थान है. ईद और बकरीद को छोड़कर किसी तरह का आयोजन या जश्न धर्म में नई बात पैदा करना है.
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