बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट रोकने की बजाय केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटना अमानवीय- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना को रोकने की बजाय केंद्रीय कर्मचारियों का डीए काट रही है. यह अमानवीय है.
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता रोकने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का फैसला ‘असंवेदनशील और अमानवीय’ है.
उन्होंने ट्वीट किया, ''लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता(DA)काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है.''
दरअसल, मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की तीन अतिरिक्त किश्तों पर रोक लगाने का फ़ैसला किया गया है. इसमें इस साल 1 जनवरी से लागू की गई 4 फ़ीसदी की महंगाई दर भी शामिल है. कैबिनेट की मुहर के बाद इसका ऐलान पिछले महीने की 13 तारीख़ को किया गया था. हालांकि सरकार ने ये साफ़ किया है कर्मचारियों को वर्तमान दर के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलता रहेगा. महंगाई भत्ते की वर्तमान दर 17 फ़ीसदी है.
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस साल 1 जनवरी , 1 जुलाई और अगले साल 1 जनवरी से मिलने वाले महंगाई भत्ते की अतिरिक्त किश्तें कर्मचारियों को नहीं दी जाएगी.
इसी को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को निशाने पर ले रही है. कांग्रेस ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं करने के सरकार फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को सैनिकों और कर्मचारियों के भत्ते काटने के बजाय ‘सेंट्रल विस्टा’, बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और फिजूल खर्च पर रोक लगानी चाहिए.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव को मानते हुए केंद्र सरकार अपने फिजूल खर्चे पर रोक लगाकर ढाई लाख करोड़ रुपये बचा सकती है जिसका इस्तेमाल संकट के इस समय में लोगों की मदद के लिए हो सकता है.
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के संकट से पैदा हुई आर्थिक मंदी और आय की तंगी पर मरहम लगाने के बजाय मोदी सरकार जले पर नमक छिड़कने में लगी है.’’ सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘ उसने हाल ही में 30,42,000 करोड़ रुपये का बजट पारित किया. बजट में आय व खर्चे का लेखा-जोखा स्पष्ट तौर से दिया जाता है. फिर बजट पेश करने के 30 दिन के अंदर ही मोदी सरकार सेना के जवानों, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है?’’
उन्होंने दावा किया कि महंगाई भत्ते में ‘अन्यायपूर्ण कटौती’ से लगभग 1.13 लाख सैनिकों, कर्मचारियों और पेंशनरों की तनख्वाह से सालाना 37,530 करोड़ रुपये की कटौती होगी.
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती कर जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा. इस कटौती के जरिये सेनाओं के 15 लाख सैनिकों और लगभग 26 लाख सैन्य पेंशनभोगियों के 11,000 करोड़ रुपये काट लिये जाएंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सरकार ने आज तक 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सेंट्रल विस्टा परियोजना खारिज नहीं की. न ही उसने 1,10,000 करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना बंद की. उसने फिजूल के सरकारी खर्चों में कटौती की घोषणा भी नहीं की, जिससे 2,50,000 करोड़ रुपये सालाना बच सकते हैं.’’
सुरजेवाला ने सरकार से आग्रह किया कि वह इन परियोजनाओं पर रोक लगाए और ‘फिजूल खर्चे’ बंद करे. सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद और सेंट्रल दिल्ली की कई सरकारी संपत्तियों के पुन:निर्माण का प्रस्ताव है.