नई शिक्षा नीति पर कांग्रेस ने उठाया सवाल, पूछा- बिना अंग्रेजी बच्चे कैसे पढ़ेंगे?
केंद्रीय कैबिनेट ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था.
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी दे दी, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए हैं. अब कांग्रेस ने नई शिक्षा नीति में अंग्रेजी भाषा को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का कहना है कि हर बच्चे को अग्रेंजी पढ़ना बेहद जरूरी है. अगर बच्चे ने अग्रेंजी ठीक से नहीं पढ़ी है तो वो विदेश में नौकरी नहीं कर सकता.
राजीव शुक्ला ने अपने ट्वीट में लिखा, "अंग्रेजी विरोध करना तो अच्छा है लेकिन जिंदगी भर व्यक्ति को तरक्की से तरसना पड़ता है. गरीब व गांव के बच्चे को शुरू से अंग्रेजी पढ़ानी चाहिए, तब वह देश-विदेश में कुछ भी बन सकता है वरना जिंदगी भर हीन भावना सालती रहती है. स्कूलों में शुरू से अंग्रेजी पढ़ाइए."
अंग्रेज़ी विरोध कहना तो अच्छा है लेकिन ज़िंदगी भर व्यक्ति को तरक़्क़ी से तरसना पड़ता है। गरीब व गाँव के बच्चे को शुरू से अंग्रेज़ी पढ़ानी चाहिये तब वह देश विदेश में कुछ भी बन सकता है वरना ज़िंदगी भर हीन भावना सालती रहती है। स्कूलों में शुरू से अंग्रेज़ी पढ़ाइये @narendramodi
— Rajeev Shukla (@ShuklaRajiv) July 30, 2020
शुक्ला ने आगे लिखा, "यदि यह संभव नहीं है तो कम से कम प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी वैकल्पिक विषय कर दो. आम आदमी के बच्चे को अंग्रेजी सीखने का शुरू से अवसर तो दे दो. असलियत तो ये है कि आज हिंदी और संस्कृत के टीचर भी अपने बच्चे को अंग्रेजी स्कूल भेज रहे हैं. आदरणीय मोदी जी से अनुरोध है."
34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति केंद्रीय कैबिनेट ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था. नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टीएसआर सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव, की अध्यक्षता में 5-सदस्यीय समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को प्रस्तुत की थी. 24 जून, 2017 को, सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया. समिति ने 31 मई, 2019 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी. इस प्रकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने से पहले मंत्रालय द्वारा प्रारूप एनईपी 2019 व उस पर प्राप्त सुझावों, विचारों और प्रतिक्रियाओं का गहन और व्यापक परीक्षण किया गया.
नई नीति में बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते कहा गया है कि स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा, जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए होगी. इसमें 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
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