नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि 6 महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिसने देश को घोर तरीके से आज निराश किया है. पहला, वो लाखों देशवासी मजदूर जो हजारों किलोमीटर की यात्रा कर पैदल घर वापसी को मजबूर हैं, उनके हाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व वित्त मंत्री ने फिर खाली छोड़ दिए, ना उनके खातों में सीधा पैसा देने की घोषणा हुई, ना उनके घर वापसी का खर्चा वहन करने की घोषणा हुई और ना उनके व उनके परिवारों तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की कोई घोषणा हुई.
यही हाल देश के अन्नदाता किसान का हुआ. एक तरफ बेमौसम बारीश की मार से फसल नष्ट हो गई और दूसरी तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल नहीं रहा. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हर किसान की एक ही कहानी है. पर उस किसान के लिए भी आज के राहत पैकेज के अंदर एक फूटी कौड़ी ना मिल पाई. यही नहीं जो 13 करोड़ परिवार देश के सबसे गरीब लोग हैं.
सबसे पहली प्राथमिकता देश की आज उनके खाते और जेब के अंदर पैसा पहुंचाना था. वो 13 करोड़ गरीब परिवार भी देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की ओर देखते रह गए और एक फूटी कौड़ी भारत सरकार के राजकोष से उनके खाते में नहीं पहुंच पाई.
हमारे जो सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग हैं, उनकी संख्या लगभग 6 करोड़ 30 लाख है. 45 लाख छोटे उद्योगों को जो राहत दी गई, उसका तो स्वागत किया है पर 6 करोड़ 30 लाख में से क्या केवल 45 लाख छोटे, लघु और मध्यम उद्योगों को राहत देने से काम चल पाएगा और बाकी उद्योगों का क्या होगा और उन 11 करोड़ लोगों का क्या होगा, जिनकी तनख्वाह अब 2 से 3 महीने से नहीं मिली, क्योंकि इस राहत पैकेज में उन 11 करोड़ कर्मियों की चर्चा तक नहीं की गई?
ये पूरी घोषणा लिक्विटिडी मैजर तो हैं यानि कर्जा देने की एक लाइन तो आपने दी, पर फिस्कल स्टिमुलस कहां है, यानि जनता की जेब में पैसा डालने का प्रावधान कहां है? इस पूरे पैकेज में आम जनमानस या छोटी इकाइयों को सीधा एक रुपया हासिल नहीं होगा, तो ऐसे में उनको गति और प्रगति कैसे प्रदान हो पाएगी? देश गति और प्रगति पैकेज की इंतजार में था.
आख़िर में कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "इस सारे पैकेज को मिलाकर ये लगभग 3 लाख 70 हजार करोड़ का लिक्विटिड़ी इनफ्यूजन पैकेज है. फिस्कल स्टिमुलस पैकेज है ही नहीं, तो बाकी का 16 लाख 30 हजार करोड़ रुपए, 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में से कहां है? इसका कोई जवाब नहीं दिया गया. स्वाभाविक तौर से देश का गरीब, देश का श्रमिक, देश का कामगार, देश का किसान, देश का मध्यम वर्गीय व्यक्ति, देश के नौकरी पेशा लोग और देश के एमएसएमई उद्योग, वो सब आज अपने आपको इस घोषणा को सुनकर निराशा के माहौल में पा रहे हैं. एक बार फिर मोदी सरकार ने देश के साधारण व्यक्ति को घोर तरीके से निराश किया है."