Electoral Fraud In Karnataka: कांग्रेस पार्टी ने मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर कर्नाटक में निर्वाचन आयोग (EC) की कार्रवाई का शनिवार (26 नवंबर) को स्वागत किया. उसने कहा कि लोकतंत्र की शुचिता बनाए रखने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग की जांच में बेंगलुरु और इसके आसपास सभी 28 निर्वाचन क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए.
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के मुख्य आयुक्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की, जो उन निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारी हैं जहां मतदाताओं का डेटा एक निजी फर्म के तरफ से कथित तौर पर एकत्र किया गया था.
कांग्रेस निर्वाचन आयोग का स्वागत करती है
सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, ‘‘कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी की हमारी शिकायत पर कांग्रेस निर्वाचन आयोग के तरफ से की गई त्वरित कार्रवाई का स्वागत करती है, लेकिन लोकतंत्र की शुचिता बनाए रखने के लिए निर्वाचन आयोग अपनी जांच कार्रवाई को बेंगलुरु की सिर्फ तीन विधानसभा सीटों तक सीमित नहीं रख सकता है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता धोखाधड़ी का षडयंत्रकर्ता कोई और नहीं बल्कि बोम्मई हैं. उन्होंने BBMP के मुख्य आयुक्त पर भी निशाना साधा. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘निष्पक्ष जांच के लिए उनके खिलाफ ECI के तरफ से प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए."
निष्पक्ष जांच के लिए शामिल करना होगा
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चिलुम ट्रस्ट और चिलुम एंटरप्राइजेज को बोम्मई सरकार के तरफ से बेंगलुरु और उसके आसपास के सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदाताओं का डाटा एकत्र करने के लिए अधिकृत किया गया था.
सुरजेवाला ने कई ट्वीट में कहा, "निर्वाचन आयोग के तरफ से वोट धोखाधड़ी में किसी भी निष्पक्ष जांच के लिए सभी 28 विधानसभाओं को शामिल करना होगा." चिलुम ने लगभग 10,000 कर्मचारियों को इस काम के लिए रखा और मतदाताओं का डेटा अवैध रूप से चोरी किया गया.
चुनाव अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश
निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक की तीन विधानसभा सीटों की मतदाता सूची में नाम जोड़े जाने पर हटाने की समीक्षा करने का अधिकारियों को शुक्रवार (25 नवंबर) को निर्देश दिया था. इसके साथ ही आयोग ने राज्य में चुनावी धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर दो अतिरिक्त जिला चुनाव अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था.
कांग्रेस ने हाल में चुनाव निकाय में एक याचिका दायर की थी. उसके बाद आयोग ने यह निर्देश जारी किया था. पार्टी ने दावा किया था कि एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने अपने को सरकारी अधिकारी बता कर मतदाताओं के आंकड़े एकत्र किए थे.
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