नई दिल्ली: 1984 दंगा केस में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक सज्जन कुमार ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को इस्तीफा सौंप दिया है. सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पत्र में राहुल गांधी को लिखा, ''माननीय उच्च न्यायालय द्वारा मेरे खिलाफ दिए गए आदेश के मद्देनजर मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल इस्तीफा देता हूं.''


सज्जन कुमार के इस्तीफे बाद बीजेपी एक बार फिर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. बीजेपी की सहयोगी अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने सज्जन कुमार का इस्तीफा कांग्रेस के मुंह पर थप्पड़ है. उन्होंने कहा, ''जिस आदमी को कल उम्र कैद हुई है और कांग्रेस कहे कि उसने इस्तीफा दे दिया है तो ये उनके मुंह पर ही थप्पड़ है. कल तक तो कपिल सिब्बल कह रहे थे कि सज्जन कुमार का कांग्रेस से कोई वास्ता ही नहीं है. आज सज्जन कुमार के इस्तीफे से साफ कर दिया कि वो 34 साल से कांग्रेस का ही लीडर था.''


इसके साथ ही सिरसा ने सज्जन कुमार के इस्तीफे को कांग्रेस पर गंभीर सवाल खड़े किए. सिरसा ने कहा, ''कांग्रेस इससे क्या संदेश देना चाहती है, क्या कांग्रेस ये संदेश देना चाहती है कि हम इन लोगों के साथ हैं? क्या ये संदेश देना चाहती है कि हम टीवी पर चाहे जितना झूठ बोलें लेकिन हम हत्यारों का साथ दे रहे हैं. क्या सज्जन कुमार के इस्तीफे के बाद उनके बेटे को भी पद से हटाया जाएगा. कांग्रेस ये करेगी कि पिछली बार सज्जन कुमार की जगह उनके भाई को टिकट मिला था, क्या कातिलों के परिवार को पार्टी में रखा जाएगा? क्या कातिलों का परिवार और कांग्रेस परिवार एक ही हैं?''


क्या है मामला?
इस मामले में निचली अदालत ने कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को दोषी ठहराया था. इनमें से तीन को उम्र कैद की सजा और 2 को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ जांच एजेंसी सीबीआई और सिख दंगा पीड़ितों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सज्जन कुमार को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. इसके अलावा जिन 5 लोगों को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी उन लोगों ने भी निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.


दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दलील देते हुए दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है. दिल्ली पुलिस ने राजनेताओं को बचाने की कोशिश की थी. सीबीआई ने कहा कि पीड़ितों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था इसके बाद भी पुलिस ने सज्जन का नाम छोड़कर अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया. सीबीआई के वकील ने कहा कि सज्जन कुमार को किस तरह से सहयोग किया गया इसका एक उदाहरण यह भी है कि जब नानावती कमीशन ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही तब तत्कालीन सरकार ने नानावटी कमीशन की उस सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया था.


वहीं, पीड़ितों के वकील एचएस फूलका ने दलील देते हुए कहा था कि मामले में शुरुआती चार्जशीट में सज्जन कुमार का नाम था लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे कभी दाखिल नहीं किया. पुलिस ने इस तथ्य को हमेशा अपनी फाइलों में दबाए रखा. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 27 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.