Salman Khurshid News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने पार्टी द्वारा नेतृत्व के संकट का सामना करने की बात को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी अब भी उस स्थिति में है कि अगले लोकसभा चुनाव में 120-130 सीटें हासिल कर सके और बीजेपी विरोधी गठबंधन का नेतृत्व कर सके.


पूर्व केंद्रीय मंत्री ने क्षेत्रीय दलों को आगाह करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने 2019 का चुनाव उस समय जीता जब विपक्ष बिखरा हुआ था तथा अब बीजेपी उनसे संबंधित राज्यों में उनके ‘पीछे पड़ गई है.’ खुर्शीद ने कहा, ‘‘अगर कोई नेता नहीं है तो फिर उन्हें (एक नेता के तौर पर) पेश क्यों करना है. अगर कोई नेता है तो वह खुद ब खुद पेश हो जाएगा. सभी विपक्षी दलों में कांग्रेस अब भी ऐसी बेहतरीन स्थिति में है कि वह 120-130 सीटें जीत ले.’’


100-120 सीट जीतने वाली पार्टी नेतृत्व करेगी- खुर्शीद


खुर्शीद ने दावा किया कि कांग्रेस बीजेपी के खिलफ 240-250 सीटों पर सीधे मुकाबले में है और उनके दावे का आधार यही है. गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाने वाले खुर्शीद ने कहा, ‘‘100-120 सीट जीतने वाली पार्टी नेतृत्व करेगी. दो सीटों वाली पार्टी अगुवाई नहीं करेगी. विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने से जुड़ा जवाब 120 सीटें हैं.’’


कांग्रेस नेता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरा के तौर पर पेश किये जाने की कुछ लोगों की पैरोकारी के सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर मेरी कोई राय नहीं है. दिल्ली में जब सभी लोग मिलें तो उन्हें बात करनी चाहिए. मुझे कोलकाता में बैठकर इस पर टिप्पणी क्यों करनी चाहिए? क्या कोई 120 सीटें ला सकता है? ऐसा लगता है कि कांग्रेस 120 सीटें ला सकती है. अगर कोई दूसरा 120 सीटें ला सकता है तो उसका स्वागत है. उन्हें कौन रोक रहा है?’’


हमें 2019 की हार से अपना सबक सीखना है- खुर्शीद


खुर्शीद के अनुसार, पिछले दिनों जब विपक्षी नेताओं की बैठक हुई थी तो किसी ने भी इस बारे में बात नहीं की कि कौन नेतृत्व करेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह फैसला क्षेत्रीय दलों को करना है कि क्या वे अगले एक दशक तक बीजेपी को सत्ता में देखना चाहते हैं. खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह क्षेत्रीय दलों के भविष्य की बात है क्योंकि बीजेपी अब उनके पीछे पड़ी है. उन्हें अपने बारे में फैसला करना है. हमें 2019 की हार से अपना सबक सीखना है.’’ उन्होंने 1990 के दशक वाले संयुक्त मोर्चा के प्रयोग को दोहराने की स्थिति में उसकी सफलता पर संदेह व्यक्त किया. उस समय छोटे दल साथ मिलकर सत्ता में थे और कांग्रेस उन्हें बाहर से समर्थन दे रही थी.


कांग्रेस में नेतृत्व संकट से संबंधित सवाल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘न तो नेतृत्व का संकट है और न ही पार्टी इसको लेकर बेखबर है कि क्या करना है और क्या नहीं. हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं. मतभिन्नता हो सकती है. जिन्होंने (जी 23) पत्र लिखा था उन्होंने कभी नहीं कहा कि उन्हें नेतृत्व में विश्वास नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि जितिन प्रसाद और सुष्मिता देव जैसे युवा नेताओं ने पार्टी छोड़ी क्योंकि वे कांग्रेस के सत्ता में आने का इंतजार करने के लिए तैयार नहीं थे.


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