मुंबई: शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की महाराष्ट्र में सरकार बनने की संभावना अब बढ़ गई है. कल देर शाम एनसीपी-कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और गठबंधन से जुड़ी बातों में समन्वय होने की बात बताई. जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब गठबंधन लगभग तय हो गया है. इस गठबंधन का लगातार विरोध करने वाले कांग्रेस के मुंबई से पूर्व सांसद रहे नेता संजय निरुपम फिर एक बार मुखर हो गए हैं.
संजय निरुपम का कहना है कि उत्तर प्रदेश में एक बार कांग्रेस का समाजवादी पार्टी के संग गठबंधन करना कांग्रेस पर भारी पड़ गया था. उसी तरह से इस बार महाराष्ट्र में जो गठबंधन कांग्रेस शिवसेना के संग कर रही है, वह कांग्रेस के लिए बहुत बुरा होगा. निरुपम का साफ कहना है कि शिवसेना के संग जाने का निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के दबाव में ले रही हैं. चुनाव परिणाम के बाद से चर्चा थी कि कांग्रेस के 44 में से 41 विधायक शिवसेना के संग सरकार बनाना चाहते हैं. इस पर संजय निरुपम का कहना है कि नए विधायकों को अपने भविष्य की चिंता है पर गठबंधन के बाद उनका भविष्य और ज्यादा खतरे में पड़ जाएगा.
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चुनाव परिणाम के बाद से संजय निरुपम बार-बार कहते रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार ना बन पाना शिवसेना-बीजेपी के झगड़े के कारण है . निरुपम इस अस्थिरता में पाप का भागीदार शिवसेना को बताते रहे हैं. अब जबकि उनकी पार्टी शिवसेना से गठबंधन कर रही है तो निरुपम को इस बात का गुस्सा है कि शिवसेना के पाप में कांग्रेस भी भागीदार बन रही है. निरुपम बेहद गुस्से में कहते हैं कि जिस राज्य का नेतृत्व कांग्रेस ने किया है, आज उसमें तीसरे नंबर की सरकार की भागीदार बनेगी जो पार्टी के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद वैसे तो एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला पर बीजेपी शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसा रंज चढ़ा कि सालों पुराने भगवा साथी एक दूसरे का साथ छोड़कर अलग हो गए. सरकार बनाने के लिए सालों तक कांग्रेस-एनसीपी को कोसने वाली शिवसेना अब उनके संग खड़ी दिखाई दे रही है.
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