नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर कल लोकसभा में बहस होने की संभावना है. मोदी सरकार इसी दिन निचले सदन से बिल को पारित करवाना चाहती है. जहां बीजेपी के पास बहुमत है. कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके समेत अन्य दल बिल का विरोध कर रही है.


इसी को लेकर आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के पारित होने का मतलब महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगी.


उन्होंने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ''धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत का स्तर गिरकर ‘पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण’ हो जाएगा.''


तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, यदि कैब पारित होता है तो मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के मूल सिद्धांतों के ‘खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन’ को अनुमति नहीं देगा.


विधेयक पर कांग्रेस के रूख के बारे में पूछने पर थरूर ने कहा, ‘‘हालांकि, मैं पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हूं, लेकिन मुझे विश्वास है कि कांग्रेस में हम सब मानते हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत प्राप्त समानता और धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं करने की मूल भावना के खिलाफ है बल्कि भारत की अवधारण पर भी हमला है.’’


उन्होंने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम इस आधार पर बंट गया कि क्या धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता तय की जाए और जिन लोगों का उस सिद्धांत में विश्वास था उन्होंने पाकिस्तान की अवधारणा की वकालत की.


थरूर ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी, (जवाहर लाल) नेहरू, मौलाना (अबुल कलाम) आजाद, डॉक्टर आंबेडकर का इसके उलट विश्वास था कि धर्म का राष्ट्रीयता से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने भारत की अवधारणा बनाई और उन्होंने सभी धर्मों, क्षेत्रों, जातियों और भाषाओं के लोगों के लिए स्वतंत्र देश का निर्माण किया.’’


इस तर्क के बारे में पूछने पर कि नागरिकता का आधार धर्म नहीं हो सकता है, थरूर ने कहा कि बीजेपी ने भारत में राष्ट्र के संबंध में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों के जड़ जमाने का रास्ता साफ किया है जहां धर्म राष्ट्रीयता में समाहित है और ऐसा करके वे महात्मा गांधी, नेहरू, वल्लभभाई पटेल, आजाद, आंबेडकर और उनके समय के स्वतंत्रता सेनानियों की भारत की उस अवधारणा को खंडित कर रहे हैं, जिसके लिये उन्होंने लड़ाई लड़ी थी.


नागरिकता संशोधन बिल (CAB) में पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए अवैध अप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है बशर्ते कि वो मुसलमान नहीं हों.


बिल का फायदा इन देशों से भारत आए हिन्दू , सिख , बौद्ध , जैन , ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा. इस बिल के खिलाफ पूर्वोत्तर में विरोध होता रहा है. साथ ही राजनीतिक दलों के साथ कई संगठन भी इस बिल में मौजूद प्रावधानों से सहमत नहीं हैं.


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