Farm Laws To Be Repealed: कृषि कानून वापस लेने पर कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा बोले- बड़ी देर कर दी मेहरबान आते-आते...
Farm Laws To Be Repealed: शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि ये उस वक्त फैसला हुआ, जब इनके कार्य, स्रोत और सारी बातें खत्म हो गईं. अभी चुनाव सामने है. इन्हें लगा कि चुनाव में मुंह की खानी पड़ेगी...
Farm Laws To Be Repealed: प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का एलान किया. पीएम मोदी के इस फैसले का कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी स्वागत किया है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, "आज प्राप्त:काल गुरु पूर्व के दिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ने घोषणा की और अपनी इस पॉलिसी के लिए माफी मांगी, जिस तरह से ये बिल पास हुआ. कई लोग कह रहे हैं कि ये ऐतिहासिक फैसला हुआ है. ये हिस्टोरिकल नहीं है, बल्कि कई लोगों का मानना है कि ये बड़ा हिस्टेरिकल (hysterical) फैसला हुआ है."
उन्होंने कहा, "ये उस वक्त फैसला हुआ, जब इनके कार्य, स्रोत और सारी बातें खत्म हो गईं. अभी चुनाव सामने है. इन्हें लगा कि चुनाव में मुंह की खानी पड़ेगी, हालत खराब होगी. किसानों ने अपना दम दिखा दिया. जिस तरह से किसान दमखम के साथ टिके रहे, ये किसानों के संघर्ष की जीत है और विपक्ष के पूर्ण समर्थन की जीत है. ये दोनों की जीत है, लेकिन सबसे बड़ी जीत न्याय की है. किसानों के साथ जो अन्याय हो रहा था, उसके खिलाफ किसान परिवार आंदोलन कर रहा था या सत्याग्रह कर रहा था. ऊपर से हाल में जिस तरह किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए उनको रौंदा गया, जिस तरह से लखीमपुर खीरी में कांड हुआ. उसके बाद भी जिन लोगों को इस्तीफा देना चाहिए था. जिन लोगों को सलाखों के पीछे होना चाहिए था, वो नहीं है."
कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, "इतने सारे लोग मरे, मारे गए. कुछ लोगों ने आत्महत्या की. प्रधानमंत्री कभी उनसे मिलने गए नहीं, एक टेलीफोन तक नहीं गया. कभी बुलाया नहीं. सार्थक चर्चा तो दूर की बात है. बड़ी देर कर दी मेहरबान आते-आते.... अच्छा हुआ, इस फैसले का स्वागत करते हैं. ये बहुत पहले होना चाहिए था, लेकिन अभी भी किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. उनके तमाम केस वापस होने चाहिए और भी जो इश्यू है, एमएसपी को सेट अप करना चाहिए."
जब तक कानून वापसी का आदेश हाथ में नहीं आएगा, तब तक इस आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे. इस सवाल पर उन्होंने कहा, "भरपूर सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो कहा है मैं उस पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन मैं ये जरूर कहूंगा कि बहुत सारे मुद्दे में प्रधानमंत्री जी की खुद की भी और पीएमओ के कार्य की भी विश्वसनीयता कम हुई है. कहते कुछ और है, दिखता कुछ और है."
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