चंडीगढ़: पंजाब में कांग्रेस के सीनियर नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं. उनके अलावा सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओम प्रकाश सोनी ने भी शपथ ली जो राज्य के उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं. रंधावा अमरिंदर सरकार में कारागार और सहकारिता मंत्री थे. वह गुरुदासपुर के डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. हालांकि रंधावा ने कहा था कि उनकी कभी किसी पद की लालसा नहीं रही है.


चन्नी दलित सिख (रामदसिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की. वह शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे.


शपथ ग्रहण समारोह से पहले मनोनीत मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह अपने गृह क्षेत्र चमकौर साहिब स्थित गुरुद्वारा कटालगढ़ साहिब में मत्था टेका. चन्नी के साथ उनका परिवार भी था. इस बीच पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री चन्नी के ऐलान के साथ भी पार्टी के भीतर सियासी खींचतान खत्म नहीं हुई है.


पंजाब में कांग्रेस के भीतर सियासी खींचतान
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर हरीश रावत के बयान को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने ट्वीट किया, "मुख्यमंत्री के रूप में श्री चरनजीत चन्नी के शपथ ग्रहण के दिन, श्री रावत का यह बयान कि चुनाव सिद्धू के तहत लड़े जाएंगे, चौंकाने वाला है. इससे सीएम के अधिकार को कमजोर करने की संभावना है."


शपथ ग्रहण से पहले हरीश रावत ने एक बयान में कहा था कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के चेहरे पर लड़ा जाएगा.


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