Karnataka Congress News: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की संभावनाओं और तीन उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर चल रही बहस के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने शनिवार (29 जून) को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान देने से बचने के लिए कहा. इसके साथ उन्होंने ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी है.


संतों से राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने का किया अनुरोध


कार्नाटक के उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने पार्टी के हित में पार्टी के लोगों से अपना मुंह बंद रखने का आग्रह किया और साथ ही संतों से राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का अनुरोध भी किया. मंत्री के एन राजन्ना (जो तीन उपमुख्यमंत्रियों के मुद्दे पर सबसे मुखर हैं) ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि इसके लिए पूछने में क्या गलत है. राजन्ना ने कहा कि वह चेतावनियों पर ध्यान नहीं देंगे.


डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की मांग की गई थी


राज्य मंत्रिमंडल में वीरशैव-लिंगायत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है. वर्तमान में प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से शिवकुमार, सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में एकमात्र उपमुख्यमंत्री हैं. विश्व वोक्कालिगा महासमस्तन मठ के वोक्कालिगा संत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामीजी ने गुरुवार को सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के लिए रास्ता बनाने का आग्रह किया था.


इसके बाद वीरशैव-लिंगायत संत श्रीशैल जगद्गुरु चन्ना सिद्धराम पंडिताराध्य स्वामीजी ने शुक्रवार (28 जून) को कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के लिए उनके समुदाय के मंत्रियों के नाम पर विचार किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने अतिरिक्त उपमुख्यमंत्री पदों के सृजन की स्थिति में अपने समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने की भी वकालत की.


मुझे किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं


यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने दिल्ली यात्रा के दौरान हाईकमान के साथ बातचीत के दौरान एक से अधिक उपमुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग पर चर्चा की थी.डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा, ‘‘किसी उपमुख्यमंत्री पर कोई चर्चा नहीं हुई है और न ही मुख्यमंत्री को लेकर कोई सवाल है. स्वामीजी (वोक्कालिगा संत) ने मेरे प्रति स्नेह के कारण मेरे बारे में बात की होगी. मैं बस इतना ही अनुरोध करता हूं कि मुझे किसी की सिफारिश की आवश्यकता नहीं है. हमने जो काम किया है उसके लिए पार्टी हाईकमान फैसला करेगा.’’


डिप्टी सीएम ने कहा, ‘‘कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और मैंने पार्टी के हित में तय किया है कि कैसे काम करना है. इसलिए किसी विधायक या मंत्री या स्वामीजी को बोलने की जरूरत नहीं है. अगर वे (संत) हमें आशीर्वाद देते हैं तो यह काफी है."


डीके शिवकुमार ने दी चेतावनी


कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि किसी भी मंत्री को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से या मीडिया के सामने टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है और चेतावनी दी कि अगर कोई विधायक या पार्टी से कोई भी इस मुद्दे को उठाता है तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) या मैं नोटिस जारी करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.


एक सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा, "मैं सभी से कह रहा हूं अगर आप अपना मुंह बंद रखेंगे तो यह पार्टी के लिए अच्छा होगा. राजनीति में संतों के हस्तक्षेप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''अभी के अलावा किसी भी स्वामीजी ने कुछ नहीं कहा...मैं उन सभी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि वे राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप न करें.''


मंत्री राजन्ना ने 


उपमुख्यमंत्री शिवकुमार की चेतावनी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सहकारिता मंत्री राजन्ना ने कहा, ‘‘नोटिस जारी होने दीजिए, मैं इसका जवाब दूंगा. वह (शिवकुमार) सुझाव दे सकते हैं कि कुछ विवादों को सार्वजनिक रूप से नहीं उत्पन्न किया जाना चाहिए, जिससे मैं सहमत हूं और अन्य भी. अगर हम बोलें तो गलत क्या है? क्या हमें पूछना नहीं चाहिए? क्या पूछना गलत है, मैं किसी भी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हूं.’’


मंत्री राजन्ना ने कहा, ‘‘क्या मैं चेतावनी पर ध्यान दूंगा? राजन्ना तो राजन्ना हैं... हर किसी को अपना मुंह बंद रखना चाहिए, अगर हर कोई इसका पालन करेगा तो हम भी इसका पालन करेंगे. अगर हर कोई चुप रहेगा, तो हम भी चुप रहेंगे. क्या हम किसी की यह बात सुनकर चुप रह सकते हैं कि उन्हें (शिवकुमार को) मुख्यमंत्री बनाने के लिए सिद्धरमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए?’’


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का चयन कांग्रेस आलाकमान और विधायकों की ओर से किया जाता है. पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी और कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में कामयाब रही और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया.


उस समय कुछ खबरों में कहा गया था कि बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाए जाने के फॉर्मूले के आधार पर समझौता हुआ है, जिसके अनुसार शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है.


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