नई दिल्लीः कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गैरहाजिरी में पार्टी मिशन 2019 के लिए रणनीति बनाने के लिए जोरशोर से जुटी है. इसके मद्देनजर गुरुवार दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई. पहली महासचिवों, प्रभारियों की और दूसरी सभी प्रदेश कोषाध्यक्ष और अध्यक्ष की. इन बैठकों में जहां फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने को कहा गया वहीं जरूरी खर्चे में भी किफायत बरतने पर सहमति बनी. सूत्रों के मुताबिक सबसे बड़ा प्लान ये है कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता हर बूथ पर घर-घर जा कर चंदा इकट्ठा करेंगे साथ ही जनसमर्थन भी जुटाएंगे. इसकी विस्तृत रूप रेखा बनाई जा रही है. इससे पार्टी का फंड तो बढ़ेगा ही, साथ ही पार्टी के पास बूथ स्तर पर मतदाताओं का डेटा भी इकट्ठा हो जाएगा. इसके लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कूपन दिए जाएंगे, जिसमें बारकोड और होलोग्राम भी होगा. इससे चंदे का हिसाब किताब पार्टी दुरुस्त रख पाएगी.


कांग्रेस का मास्टर प्लान देश भर में चलाएगी शक्ति प्रोजेक्ट


बैठक में ये भी तय हुआ कि अब शक्ति प्रोजेक्ट को अभियान को पूरे देश में तेजी से चलाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को लेकर पार्टी का पूरा ध्यान फिलहाल चुनावी राज्यों पर था लेकिन अब देश भर में इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होगा. इसके तहत एक एसएमएस से बूथ कार्यकर्ताओं का पूरा ब्यौरा पार्टी के डाटाबेस में इकट्ठा हो जाता है. जाहिर है इस रणनिति के पीछे भी बूथ जनसम्पर्क का नोट-वोट प्लान ही है. बैठक में शक्ति प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन भी दिया गया. पार्टी का मानना है कि वो फंड की कमी से जूझ रही है इसलिए वो अपने नेताओं को सीधा जनता से चंदा मांगने के लिए कह रही है. नेताओं को पार्टी को इस मामले में निर्धारित वक्त में रिपोर्ट भी देनी होगी. पार्टी के नए कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने पार्टी नेताओं को खर्चे में कटौती की हिदायत भी दी है.


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बैठक में फिजूल खर्चों से बचने की सलाह


सूत्रों के मुताबिक महासचिवों और प्रभारियों में जो सांसद हैं, उनसे अपने राज्यों में जाने के खर्च को खुद उठाने की गुजारिश भी की गयी है. साथ ही महासचिवों और प्रभारियों से कहा गया कि, वो अपने सहयोगी सचिवों को एक हज़ार किलोमीटर से कम की यात्रा ट्रेन करने की सलाह दें. अचानक जरूरत पड़ने पर ही जहाज का इस्तेमाल करें. इसके अलावा यात्रा का कार्यक्रम एक साथ लम्बा बनाएं जिससे बार बार टिकट का खर्च बचे.संगठन के पदाधिकारियों को ये भी निर्देश दिया गया है कि जहाँ भी पार्टी का पैसा खर्च करना है वहाँ कटौती करें और कम से कम खर्चे का बजट बनाएं. रैलियों और पार्टी कार्यक्रमों के लिए पार्टी के फंड पर कम से कम निर्भर रहने को कहा गया है, इसके लिए लोकल स्तर पर नेताओं को चंदा मांगने को कहा गया है.


पैसों की कमी से जूझ रही है कांग्रेस पार्टी


दरअसल पंजाब को छोड़ कर कांग्रेस की किसी भी बड़े राज्य में अपनी सरकार नहीं है. कर्नाटक में भी वो सहयोगी की भूमिका में ही है. ऐसे में आने वाले विधानसभा चनावों के साथ ही 2019 के आम चुनावों के लिए उसके पास पैसे की कमी है. इसीलिए वो ये कदम उठा रही है. हालांकि इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर पार्टी कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने कहा कि 'सब सलामत है'. पार्टी की बैठक में ये भी तय हुआ कि राफेल सौदा, तेल के दामों में बढ़ोत्तरी, किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर लोगों के बीच जोर शोर से अभियान चलाया जाए. इसी कड़ी में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर कांग्रेस ने 10 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.


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