Congress on Jayant Chaudhary: राष्ट्रीय लोक दल (RLD) नेता जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA में जाने की अटकलों पर आखिरकार कांग्रेस पार्टी के प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने चुप्पी तोड़ दी है. गुरुवार को इन कयासों से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए खरगे ने थोड़ा खिन्न होते हुए कहा, 'मुकुल वासनिक सबसे बात कर रहे हैं. हर अपडेट नहीं दे सकते हैं.' मुकुल वासनिक कांग्रेस पार्टी के महासचिव हैं और वो ही इस मामले को लेकर RLD नेता जयंत चौधरी से बात कर रहे हैं. 


इंडिया गठबंधन के कुछ प्रमुख दलों ने पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस को झटका देते हुए गठबंधन से दूरी बना ली है और NDA के खेमे में जा मिले हैं. पिछले कुछ दिनों से RLD को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे कि जयंत चौधरी भी इंडिया को चोट पहुंचाते हुए NDA में शामिल हो सकते हैं. हालांकि जयंत ने अब तक इसपर चुप्पी साध रखी है. उत्तर प्रदेश में RLD और समाजवादी पार्टी, इंडिया गठबंधन के मजबूत सहयोगी हैं. 


सपा का दावा, 'इंडिया में ही रहेंगे जयंत' 


समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर RLD के उनके साथ होने का दावा करती रही है. पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने बुधवार को RLD के बीजेपी के साथ जाने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने इसे बीजेपी की ओर से फैलाया गया भ्रम करार दिया और कहा कि चौधरी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी भ्रम फैला रही है. जयंत चौधरी कहीं नहीं जा रहे हैं. वह मजबूती के साथ ‘इंडिया’ गठबंधन में रहेंगे और बीजेपी को हराने का काम करेंगे.’’ 


आखिर इन अटकलों की वजह क्या?


RLD नेता जयंत के NDA में जाने की अटकलों का कारण आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा के साथ सीट बंटवारे पर बात न बनने को बताया जा रहा है. हालांकि RLD नेता ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है. RLD और समाजवादी पार्टी ने इसी साल 19 जनवरी को लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया था. गठबंधन के तहत RLD को सात सीटें दी गई थीं. जाट समुदाय को परंपरागत रूप से RLD का मुख्य वोट बैंक माना जाता है. ऐसे में गठबंधन के तहत उनके जाट बहुल लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की संभावना है, जिनमें मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मथुरा, बागपत, अमरोहा और मेरठ शामिल हैं.


सपा के साथ लड़ा पिछला लोकसभा और विधानसभा चुनाव


समाजवादी पार्टी और RLD ने 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था. तब समाजवादी पार्टी ने 111 सीटें और RLD ने आठ सीटें जीती थीं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों दलों ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करते हुए चुनावी जंग लड़ी थी. उस समय RLD को गठबंधन के तहत मथुरा, बागपत और मुजफ्फर नगर की सीटें मिली थीं, लेकिन तीनों पर ही उसे हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में RLD के पास जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था, लेकिन फिर भी समाज वादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने में मदद की थी.


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