PM Modi पर Mallikarjun Kharge का तंज, बोले- छुट्टी के दिन करना चाहिए था काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन
Mallikarjun Kharge on PM Modi: मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सदन के 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग दोहराते हुए कहा कि जो लोग धरने पर बैठे हैं आज भी हम उनका मुद्दा उठाएंगे.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सदन के 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग दोहराते हुए कहा कि जो लोग धरने पर बैठे हैं आज भी हम उनका मुद्दा उठाएंगे. राज्यसभा सांसदों का निलंबन वापस हो. उन्होंने कहा, 10 बजे विपक्षी पार्टी के सभी नेता मिलेंगे और उसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे. सदन चलता रहता है और पीएम आते नहीं. खड़गे ने कहा कि छुट्टी वाले दिन पीएम को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करना चाहिए था.
पिछले हफ्ते 29 नवंबर को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.
खड़गे समेत कांग्रेस नेता लगातार 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने का मुद्दा उठा रहे हैं. इससे पहले बुधवार को खड़गे ने कहा था कि सरकार सदन नहीं चलने देना चाहती ताकि विपक्ष महंगाई, नागालैंड में गोलीबारी, पेगासस और दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं उठा सके. कई विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने बुधवार को भी उच्च सदन की कार्यवाही का दिन भर के लिए बहिष्कार किया और निलंबित सांसदों के साथ धरने पर बैठे रहे.
उन्होंने कहा था, हमने वही मुद्दा उठाया और कहा कि निलंबन रद्द किया जाए. वो कह रहे हैं कि माफी मांगनी चाहिए. किस चीज की माफी? हमने नियमों और संविधान के खिलाफ कोई काम किया? नहीं किया. उन्होंने कहा था, इन 12 सदस्यों में कौन सदस्य मेज पर चढ़ा था, फाइल फाड़ी थी? बिना नामित किए हुए सदस्यों को निलंबित किया गया है. खड़गे ने कहा था, हम सदन चलाने के लिए तैयार हैं. हम सभी मुद्दों को उठाना चाहते हैं, लेकिन सरकार मौका नहीं दे रही है.